इतने आगे निकल तो गए हो
पर कम से कम पल दो पल तो रुको
रुख कर चलने के बीच
इतना वक्त तो हो मेरे मीत
इंतज़ार जो तुमने किया हो मेरे लिए
उसका मुझे अहसास तो हो
मेरे प्यार में इतना हो दम
मेरे इंतज़ार में थम जाए तुम्हारे कदम
तुम्हारी आगे बढ़ने की चाह
बदल देगी हमारी राह
बहुत ऊँचाई तक तुम पहुंच गए हो
अगर तुम मुझे हाथ बढ़ा कर थामते
मैं भी उन उचांइयो को महसूस करती
अब खत्म सी हो रही है कदमों की समानता
हाथ की ठंडक से पता चल रही है
रिश्तों की गर्माहट
सुनहरे सपनों में उलझ कर बहुत दूर निकल गए
बीच में वक्त के थफेड़ों ने
मिटादी पुरानी यादों की कहानी
आख़रि पड़ाओं पर
हमारी मुलाकात वास्तविक नहीं थी
बातों और मुलाक़ातों से ही समझा
की आगे यात्रा
मिटा देगी मेरा अस्तित्व, क्योंकि?
अब तुम मुखौटों के शहर में
जो आ गए हो
जहां कदम कभी थकते नहीं
एक दूसरे का पीछे छोड़ने की चाह में
सांस लेने को भी लोग रुकते नहीं