Friday 19 February 2016

वो ठहरा हुआ चाँद


मेरे सिरहाने वाली खिड़की 
तब से मैने ख़ुली ही रख़ी है 
क्योंकि उसके ठीक सामने 
चाँद आकर रुकता है 
एक छोटे तारे के साथ 
मेरे पास बहुत से सवालों
के नहीं है हिसाब
वर्षों से रोज़ रात 
मेरे सिरहाने बैठ कर 
बेटी पूछती है 
"माँ , पापा कभी लौट कर आएंगे क्या ?"
मैं खिड़की पर थमे हुए चॉंद में 
तुम्हारी तस्वीर उसे दिखाती हूँ 
हमारी अच्छी चीज़ें 
चॉंद अपने पास रखता है 
हाँ वो साथ वाला छोटा तारा 
तुम्हारी बात सुन रहा है 
और वो चाँद को बताएगा 
आने वाली कल रात को 
जो कभी नहीं आने वाली 
चाँद से बेटी को बहलाती हूँ 
वो खुली ख़िडकी
मेरे बहुत से सवालों के 
जावाब देने के काम आती है ।

Friday 12 February 2016

ऐ वीर तुझे अनंत नमन


ये कहकर गया था जब अबकी बार आउंगा
माँ गोद में तेरी सर रख कर जी भरकर सोउँगा ।
लाल मेरा तू तो है भारत माता का प्रहरी
इसीलिये नींद तेरी रहती थीं आँखों से ओझल
कभी न वो तेरी पलकों में ठहरी ।
पर माँ का दिल आज अचानक से दरक गया
क्यों आज पूजा का थाल हाथ से सरक गया ।
जहां कहीं मेरे जिगर का टुकड़ा होगा 
आज नहीं तो कल लौटेगा ।
हर नई सुबह 
आस उम्मीद का एक नया दीप जला होगा 
माँ ने याद किया होगा 
बचपन से जवानी तक का सफरनामा ।
पत्नी ने याद किए होंगें 
सारी जिंदगी साथ निभाने के वचन
वो सिदूंर मंगलसूत्र और चूड़ीयों में बसे सुनहरे पल ।
बहुत सी जंग जीती जीवन में 
पर अब वो कौन सी जंग हार गया ।
एक माँ को जिम्मेदारी का आखिरी नमन कर 
दूजी माँ की गोद में सोने को आतुर 
लम्बी नींद को चला गया ।
नहीं डरा वो वीर सपूत
पूरी मुस्तेदी से डटा रहा
अपनी ज़िम्मेदारी को दर्ज करा गया ।