Wednesday 14 June 2023

बचपन के रास्तों के पेड़


बचपन के रास्तों के पेड़
वक्त के साथ साथ 
वो भी उम्रदराज़ हो गए हैं ।
अब जब भी मैं गुज़रती हूँ
उन रास्तों से 
धुंधली यादों के साथ..
गुज़रा वक्त अब भी
सलाख़ों में क़ैद है कहीं ।
पुरानी बातों के 
ज़िरह के दस्तावेज़ों को 
मैं नहीं खोलती ।
किन तारीख़ों को क्या सज़ा
मुक़र्रर हुई..
मैं कब सब से
आखिरी बार मिली..
इन सब हिसाबों के 
काग़ज़ात की फ़ाइल को 
बांधने वाली डोरी अब
गल चुकी है ।
अब उस फ़ाइल को खोलने
का रिस्क नहीं लेती
उड़ते काग़ज़ों को दोबारा
समेटने में बहुत हिम्मत चाहिए ।
और उन नीम पीपल सागोन की 
गवाही अब भी बदली नहीं है ।
उन सब तारीख़ों को उनने 
अपने वलय में समेट रखा है ।
कहते हैं पेड़ के वलय से 
पेड़ की उम्र का पता जो चलता है ।
बहुत शौक़ था तुम्हें
मुझसे वकालत करने का 
अब तुम अपने जिरह के 
काग़ज़ात समेट लो 
कुछ ना बोलो 
दरख़्तों से कहो वक्त को 
उम्र कैद में रहने दो 
और इस सज़ा को 
मुक़र्रर  बरकरार रहने दो ।