Saturday 30 March 2024
मेरा स्वाभिमान
Sunday 18 February 2024
कुछ पंक्तियाँ दिल से...
~ 1 ~
बड़ा अजीब है जनाब ये तेरा शहर
आँखों में बड़े बड़े ख़्वाब लिए सारी रात
बेचैनी से यहाँ से वहाँ
भागता ही रहता है
तभी तो ये रात भर
जागता रहता है
सागर तेरा शहर सोता क्यों नहीं ।
~ 2 ~
जब भी कभी नया दोस्त मैं
बनाता हूँ, पता नहीं क्यों
मेरे पीठ के पीछे के
ख़ंजरों में इज़ाफ़ा क्यों हो जाता है ।
~ 3 ~
समंदर से सीखा है मैंने
जिसके पास
अश्क़ो का सैलाब होता है
वो रोया नहीं करते ।
~ 4 ~
उसने कहा एक ख़्वाब
की तरह मेरी यादों को भुला चुका हूँ
मैंने उन ख़्यालों को
ज़िम्मेदारियों के फ़्रेम में
संभाल कर रखा है ।
Sunday 21 January 2024
वो एक नदी यादों की
वो एक नदी यादों की
मेरे साथ बहती बहती
एक कहानी बन गई
मैं वो तुम्हें सुनाना चाहती थी
मुकम्मल होने तक कहानी
तुम्हारी ख़ामोशी है ज़रूरी
पर क्या तुम मौन रहोगे
क्या तुम मुझे सुन रहे होगे
बहुत कठिन होता है
किसी को ख़ामोशी से सुनना
तुम्हारी आंखो को
मुझे समझना होगा
क्योंकि वो दिमाग़ के
अनचाहे वाकयात को
बंया कर देती हैं
मेरी यादें मेरी कहानी
वो शतरंज का खेल है न
उससे मिलती जुलती है
तुमने कहा एक प्यारा शब्द
कल कॉफी शॉप में बैठ कर
तफ़सील से सुनूँगा
मैंने कहा अपने आप से
पर वहाँ तो मुझे अपनी कहानी
घर पर छोड़ कर जानी होगी
नए दौर का नया फ़रमान
वो मेरा तफ़हीम से कहना
उस माहौल में मेरी कहानी
शब्द शब्द बदलना होगा मुझे
क्योंकि तुम कदर-शनास नहीं
कभी कभी मुझे लगता है
मेरी कहानी
उँचे पेड़ पर टंगी
मुझे चिढा रही है
की मैं न कभी
सुना सकूँगी
वो एक नदी सी
मेरे साथ-साथ
बहती रहेगी...