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Sunday, 18 February 2024

कुछ पंक्तियाँ दिल से...

~ 1 ~

 बड़ा अजीब है जनाब ये तेरा शहर 

आँखों में बड़े बड़े ख़्वाब लिए सारी रात 

बेचैनी से यहाँ से वहाँ

भागता ही रहता है 

तभी तो ये रात भर 

जागता रहता है 

सागर तेरा शहर सोता क्यों नहीं ।

 

~ 2 ~

जब भी कभी नया दोस्त मैं 

बनाता हूँ, पता नहीं क्यों 

मेरे पीठ के पीछे के 

ख़ंजरों में इज़ाफ़ा क्यों हो जाता है ।


~ 3 ~

समंदर से सीखा है मैंने 

जिसके पास 

अश्क़ो का सैलाब होता है 

वो रोया नहीं करते ।


~ 4 ~

उसने कहा एक ख़्वाब

की तरह मेरी यादों को भुला चुका हूँ 

मैंने उन ख़्यालों को 

ज़िम्मेदारियों के फ़्रेम में 

संभाल कर रखा है ।

 

Saturday, 15 August 2020

तुम्हारे शहर की बूँदें


 बारिश में जब भी तुम्हारे 

शहर गया 

न तो तुम दिखी 

न मुलाक़ात हुई 

पर बहुत सी बूँदें 

तुम्हारे शहर की 

छाते में सिमट कर आ गईं 

कई दिनों से 

वो यादों की सीलन 

महका रही थीं 

कमरे को 

उन्हें मिटाने के लिए 

आखिर मैंने

आज कड़ी धूप में 

छाता खोल कर सुखा दिया




Monday, 21 March 2016

तेरी तलाश


एक अरसे से
मेरी तलाश जारी है
पर यादों की किरचें जो
मेरी राहों पर पड़ी है
उनकी चुभन मुझे शिकस्त दिये जा रही हैं
कल तेरी तलाश में मैं
पुराने शहर का चक्कर लगा आया
तलाश मुक्कमल तो नहीं हुई
पर वो पुराने शहर को मैं
सालों बाद भी नहीं भुला पाया
पुराना पता हाथ में था लिया
हस रहा था हर शक्स मुझ पर
कह रहे थे लोग कई
ये कौन है बंजारा
फिर रहा है मारा-मारा
इसे कोई समझाओ
शहर लोग पते सब बदले
पर मैंने तेरे इन्तेज़ार में
पत्थरों पर थे जो निशान उकेरे
उनमे नहीं हुई कोई तब्दीली
उस जगह पर अब इक फकीर
रोज शाम को चिराग रौशन करता है
उस पत्थर पर ज़मी धूल के नीचे
कुछ यादें दफन हैं
उस धूल को समेट कर
आखरी इन्तेजार के साथ
तलाशता रहा तुम्हें

कुछ वक्त वहां ठहर के