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Saturday, 15 August 2020

तुम्हारे शहर की बूँदें


 बारिश में जब भी तुम्हारे 

शहर गया 

न तो तुम दिखी 

न मुलाक़ात हुई 

पर बहुत सी बूँदें 

तुम्हारे शहर की 

छाते में सिमट कर आ गईं 

कई दिनों से 

वो यादों की सीलन 

महका रही थीं 

कमरे को 

उन्हें मिटाने के लिए 

आखिर मैंने

आज कड़ी धूप में 

छाता खोल कर सुखा दिया




Thursday, 10 September 2015

यादों का बहाना



तेरी यादों को मैं झूठे बहाने बना कर 
कहीं छोड़ आइ थी 
पर वो दबे पाँव वापस लौट आइं थी 
उसने मुझे बहाना ये बताया
की मेरे ज़हन से अच्छा आशियाना न पाया
कलाइ पर जो लिखा था तेरा नाम
उस पर जब पड़ती है किसी की प्रश्न भरीं नज़र 
लोगो को बातें बनाने के लिए मिलती होगी नई ख़बर 
पत्थर से घिसने पर भी नहीं छूटता वो लहू में मिला रंग 
तू ने पल-पल मरने की सजा दे दी 
उस पर किसी फ़कीर ने मुझे 
लम्बी हो जिंदगी ये दुआ दे दी 
सब कुछ छोड़ कर तूने लम्बे सफ़र की तैयारी कर ली 
और मुझे आँसुओं को न आने की ताकीद कर दी 
अब तो हर लम्हा तेरी याद साथ है 
शायद वो हाथ की लकीर बन गई है 
ज़िंदगी जो क़बूल नही हुइ
वो दुआ बना गई है

Monday, 10 August 2015

अश्क बहाना है मना



आज मेरी कलम ने किया है मना 
किसी की याद में अश्क बहाना है मना
आज कोइ नज्म नई बना
उस गली और मोड़ के शब्दों को ले 
जहॉं तू कभी खड़ा था अकेले
तब भी तो तू सुकून से जीता था 
आज फ़िर उन पुरानी राहों को नाप आ
जिनकी वीरानगी पर तू चलकर होता था ख़फ़ा
गम दे कर भूल जाना जिसकी फ़ितरत थी
तूने क्यों उसकी यादों को
सीने से लगाने की जरूरत की 
पुरानी यादों को रेज़ा-रेज़ा हो जाने दे
बेइन्तेहा बेकस हो कर डूब मत 
परेशांहाली में मयख़ाने के अंदर 
पैमाने मत तौल 
बाहर आ और ख़ुली फ़िजा में सांस ले 
चार कदम आगे बढ़ और ज़िदंगी को थाम ले 
आज मेरी कलम ने किया है मना 
किसी की याद में अश्क बहाना है मना

Thursday, 28 May 2015

मेरी आसमानी रगं की डायरी


तुम मेरी आसमानी रगं की डायरी के पन्नों में बसे हो
बिना बोले आ जाती है हवा
और जब हर पन्ने को खोलकर चली जाती है
तब यादों की खुशबू
मेरे चारों ओर फैल जाती है
और घटों मैं अपने आप से
बातें करने लगती हूँ
वो कमरे में तुम्हारे होने का अहसास
खिड़की पर रखे रजनीगंधा के फूल 
वो ख़त 
वो किताबों में रख़ी सूखी पख़ुडियाँ
उस कमरे की हवा 
मुझसे लिपट कर अतीत में ले जाने की कोशिश करती है
एक अजीब सी अकेलेपन की सिहरन
नसों में दौड़ जाती है
मुझे तुम्हारी सारी बातें याद हैं
इसलिए अब दौहराने
को कुछ बचा ही नहीं
मुझे पता है तुम कहीं नहीं हो 
पर तुम मेरी यादों में हो
तुम मेरी आसमानी रगं की
डायरी के पन्नों में बसे हो |