उसने पेपर पर
और मैंने माँ के हाथ पर
कर दिए दस्तखत
और हमें मिल गयी
अपने अपने हिस्से की दौलत
~
हर दिन डरती थी
तुम्हे खोने से
पर अब देखो
जब से तुम गए हो
ये डर भी खामोशी से
बिना बताये कहाँ चला गया
पता नहीं
~
मेरी कब्र की मिट्टी
आज कुछ नम है
सुना है आज तू
मेरी पसंद के
रजनीगंधा के फूल
लाने वाला था
~
बहुत दिन के बाद
मिल तो रहे हो
पर मैं तुम्हारे जितना
दौलतमंद नहीं
कहीं ऐसा न हो
चंद लम्हों के बाद
तुम्हे कुछ
ज़रूरी काम याद आ जाए