Saturday 26 September 2020

ऐ ज़िंदगी ...

 

 कल बहुत देर तलक सोचती रही
फिर सोचा बात कर ही लूं  
फिर मैंने ज़िंदगी को फ़ोन लगाया 
मैंने कहा आओ बैठो किसी दिन 
दो चार बातें करते हैं 
एक एक कप गर्म चाय की प्याली
एक दूसरे को सर्व करते हैं 
हमेशा भागती रहती हो ज़रा जीने भी दो 
कुछ मेरी पसंद के दो चार दिन 
इतना तहलका मचा के रखती हो 
हमेशा घसीटती रहोगी क्या
मरे हुए कीड़े को जैसे चीटियाँ घसीटतीं है 
थोड़ा ठहरो  ज़िंदगी 
पर तुमने कहा सारी कायनात का 
मिज़ाज बदले एक अरसा हो गया है 
तुझे जीना है तो तू बहुत से मुखौटे
इन रंगीनियों से उठा ले  
झूठफ़रेबबेईमानीचालाकी 
तूने कहा यही सारी चीज़ें हैं
वक़्त से तालमेल बिठाने के लिए 
मैंने कहा कम्बख़्त तूने बताया ही नहीं 
बड़ा सामान लगता है तेरे सफ़र में 

36 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर ।

      Delete
  2. बहुत सुन्दर।
    --
    पुत्री दिवस की बधाई हो।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर

      Delete
  3. सुंदर गुफ्तगू, जिंदगी के संग।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर ।

      Delete
  4. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर ।

      Delete
  5. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया ।

      Delete
  6. बहुत सुन्दर रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ।

      Delete
  7. सुन्दर रचनाओं से परिपूर्ण ब्लॉग - - नमन सह।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ।

      Delete
  8. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ।

      Delete
  9. बहुत ही सुन्दर गुप्तगू जिंदगी से...
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया

      Delete
  10. बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन दी ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया ।

      Delete
  11. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया मेरी रचना को पाँच लिंकों का आंनद में स्थान देने पर ।

    ReplyDelete
  12. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर ।

    ReplyDelete
  13. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर ।

      Delete
  14. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया

      Delete
  15. बेहद दिलचस्प कविता

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया ।

      Delete
  16. बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया

      Delete
  17. बहुत सुंदर रचना, मधुलिका दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया

      Delete
  18. वाह ! बहुत सुन्दर रचना |

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर

      Delete
  19. अनूठे अंदाज़ में लिखी लाजवाब रचना ... वाह ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर 🙏

      Delete