Wednesday, 17 February 2021

अब टूट कर न बिखरे, ये बचे हुए सपने


 मैंने अपने हिस्से के कुछ सपने 

छुपा दिए थे उम्मीदों के आसमान में 

सोच रही हूँ वहाँ जा कर 

ले आऊं उन्हें 

मेरे रोशनदान पर एक बुल बुल 

रोज दाना चुगने आती है 

मैंने उससे कहा तुम्हारे 

पंख मुझे उधार देदो 

मैं स्त्री हूँ 

मैं सपने देख भी सकती हूँ 

सपने चुरा भी सकती हूँ 

पर सपनों में जीना 

तमाम पाबंदियों के बीच 

सपनों को यूं 

आकाश से उठा लाना 

नहीं संभव है 

इन कोशिशों में 

कई पंख जल गए 

कितने सपने जब भी लाइ 

वो हालातों के पर्वतों से टकरा 

चूर चूर हो गए 

कुछ लावा बन कर पिघल गए 

पता नहीं रेजा रेजा हो कर 

कहाँ बिखर गए 

बंदिशों की आग और आंधी 

बचे हुए सपने

अब टूट कर न बिखरे 

तुम सुन रही हो न 

तुम्हारे पंख मेरे सपने 

तुम्हारे रंगीन पंखों सा 

रंग भरूंगी उन सपनों में 

मुझे तुम्हारे पंख चाहिए 

न टूटे, न उम्मीदों के दामन से 

मेरा हाथ छूटे ...

51 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना, मधुलिका जी।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय ।

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  2. सुन्दर, अनसुलझे अहसासों से रुबरू कराती अनुपम कृति..

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  3. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 19-02-2021) को
    "कुनकुनी सी धूप ने भी बात अब मन की कही है।" (चर्चा अंक- 3982)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर ।

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  4. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है यह मधूलिका जी । मन के तारों को झिंझोड़ देने वाली ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय ।

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  5. सपनो को लाने के लिए
    पंख भी अपना ही लगाना होगा
    जहाँ की तपिश से भी
    खुद तुमको ही बचाना होगा ।

    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  6. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 18 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में स्थान देने पर ।

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  7. सपनों की खुशबू जीवन में सकारात्मकता का संचार करते रहें।
    अति सुंदर सृजन मधुलिका जी।
    सादर।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  8. मधुलिका जी बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना |

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय ।

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  9. बहुत सुन्दर मार्मिक और सारगर्भित रचना।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीयसर।

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  10. सुंदर अभिव्यक्ति मधुलिका जी!!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  11. वाह!बहुत ही सुंदर मोहक लेखन।
    सादर

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  12. हृदय स्पर्शी सृजन।
    संवेदनाओं से गूंथे भाव।
    बहुत सुंदर रचना।
    बधाई।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय

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  13. नारी के अतीत के अनुभव और भविष्य के सपनो का सटीक विवरण पेश करती सुंदर रचना, मधुलिका दी।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  14. भावपूर्ण व हृदयस्पर्शी रचना शुभकामनाओं सह।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय ।

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  15. सपनों पर बेहद ख़ूबसूरत सपनींली रचना...

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  16. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति मधुलिका जी,सादर नमन

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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    2. Please see my poem on blog please

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  17. बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  18. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय ।

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  19. बहुत बहुत सुन्दर रचना.

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ।

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  20. बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ।

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  21. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया ।

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  22. बेहद ख़ूबसूरत बातों को यूं शब्‍द देना आपकी कलम ही कर सकती है मधुलिका जी..आभार ।

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आप का आदरणीय संजय जी।

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  23. बहुत सुंदर कविता...

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आप का आदरणीया ।

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  24. टूटते हैं बिखरते हैं ... पर उनका देखना कभी बन्द नहीं होना चाहिए ...
    जीने का संबल हैं ये सपने ...

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय ।

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  25. बहुत सुंदर मधुलिका जी!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  26. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय

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