दम घुटने के बाद की बची सांसें
खर्च तो करनी ही होती हैं
एक उम्र उन्हें खींचती रहती है
जीने के लिए
आस पास आशा निराशा के बीच
जो छोटी खुशियाँ बची होती है
हर पड़ाव पर मील का पत्थर
जर्द है
शायद आगे कुछ लिखा होगा
मन समझाता है
लोग कहते हैं
तुम्हारी लेखनी में
जीवन्त्तता नहीं है
सकारात्मकता होनी चाहिए थी
सच सच होता है
न की सकारात्मक
न की नकारात्मक
हर एक के जीवन की
अपनी एक रचना होती है
लोगों की पसंद पर नहीं
चलती कलम
मैं भी एक नकाब पेहेन लू क्या
पर कलम के लिए कोई
नकाब नहीं होता
बेबाक कलम
बेनकाब कलम ...
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०९-०१-२०२१) को 'कुछ देर ठहर के देखेंगे ' (चर्चा अंक-३९४१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर ।
Deleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया
Deleteबहुत बहुत सुन्दर रचना |
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ।
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया पम्मी जी मेरी रचना को स्थान देने पर ।
ReplyDeleteवाह बेहतरीन सृजन।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति मधुलिका जी।
तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया
Deleteआप से निवेदन है,कि हमारी कविता भी एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति महान कृपया होगी
Deleteआज बहुत दिनों बाद पढ़ी बेबाक कलम मधुलिका जी की...
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय
Deleteसत्य का अनुभूति कराती सुन्दर सार्थक रचना..
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया
Deleteकलम के लिए कोई नकाब नहीं होता- -----
ReplyDeleteक्या बात है ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।
तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय राजेश जी
Deleteसुन्दर सार्थक रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया
Deleteआपकी इस सत्यपरक लेखनी से निकली रचना पर देर से आया मधूलिका जी लेकिन दुरूस्त आया । सच बात तो ऐसी ही होती है और ऐसे ही कही जाती है । सच केवल सच ही होता है - सकारात्मक या नकारात्मक नहीं । सकारात्मकता के आग्रह में क्या असत्य बोलना आरंभ कर दें ? क़लम के लिए कोई नक़ाब नहीं होता । और नक़ाब पहन ले तो फिर क़लम क़लम ही नहीं रहती । आपके इन बेहतरीन अशआर पर और कितना कहूं ? यूं लगता है जैसे मेरे होठों की बात छीन ली हो आपने ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया सर ।
Deleteबेहतरीन रचना!बहुत गहरे तक उतर गई बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय ।
Deleteबहुत ही अच्छी लेख है आपकी [url=https://vigyantk.com]informative[/url] knowledge के लिए जरूर आये
ReplyDeleteआदरणीय सर बहुत बहुत आभार आपका
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