Thursday 7 January 2021

बेबाक कलम


दम घुटने के बाद की बची सांसें 

खर्च तो करनी ही होती हैं 

एक उम्र उन्हें खींचती रहती है 

जीने के लिए 

आस पास आशा निराशा के बीच 

जो छोटी खुशियाँ बची होती है 

हर पड़ाव पर मील का पत्थर 

जर्द है 

शायद आगे कुछ लिखा होगा 

मन समझाता है 

लोग कहते हैं 

तुम्हारी लेखनी में 

जीवन्त्तता नहीं है 

सकारात्मकता होनी चाहिए थी 

सच सच होता है 

न की सकारात्मक 

न की नकारात्मक 

हर एक के जीवन की 

अपनी एक रचना होती है 

लोगों की पसंद पर नहीं 

चलती कलम 

मैं भी एक नकाब पेहेन लू क्या 

पर कलम के लिए कोई 

नकाब नहीं होता 

बेबाक कलम 

बेनकाब कलम ...

29 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०९-०१-२०२१) को 'कुछ देर ठहर के देखेंगे ' (चर्चा अंक-३९४१) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर ।

      Delete
  2. सुन्दर प्रस्तुति।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया

      Delete
  3. बहुत बहुत सुन्दर रचना |

    ReplyDelete
  4. सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।

      Delete
  5. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया पम्मी जी मेरी रचना को स्थान देने पर ।

    ReplyDelete
  6. वाह बेहतरीन सृजन।
    सुंदर अभिव्यक्ति मधुलिका जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया

      Delete
    2. आप से निवेदन है,कि हमारी कविता भी एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति महान कृपया होगी

      Delete
  7. आज बहुत द‍िनों बाद पढ़ी बेबाक कलम मधुल‍िका जी की...

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय

      Delete
  8. सत्य का अनुभूति कराती सुन्दर सार्थक रचना..

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया

      Delete
  9. कलम के लिए कोई नकाब नहीं होता- -----
    क्या बात है ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय राजेश जी

      Delete
  10. सुन्दर सार्थक रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय

      Delete
  11. बहुत सुंदर रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया

      Delete
    2. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया

      Delete
  12. आपकी इस सत्यपरक लेखनी से निकली रचना पर देर से आया मधूलिका जी लेकिन दुरूस्त आया । सच बात तो ऐसी ही होती है और ऐसे ही कही जाती है । सच केवल सच ही होता है - सकारात्मक या नकारात्मक नहीं । सकारात्मकता के आग्रह में क्या असत्य बोलना आरंभ कर दें ? क़लम के लिए कोई नक़ाब नहीं होता । और नक़ाब पहन ले तो फिर क़लम क़लम ही नहीं रहती । आपके इन बेहतरीन अशआर पर और कितना कहूं ? यूं लगता है जैसे मेरे होठों की बात छीन ली हो आपने ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर ।

      Delete
  13. बेहतरीन रचना!बहुत गहरे तक उतर गई बधाई स्वीकारें

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय ।

      Delete
  14. बहुत ही अच्छी लेख है आपकी [url=https://vigyantk.com]informative[/url] knowledge के लिए जरूर आये

    ReplyDelete
  15. आदरणीय सर बहुत बहुत आभार आपका

    ReplyDelete