मैंने यादों को सफ़ेद लिबास में
दफ़्न होते देखा है
कल किसी ने दस्तक दी
दरवाज़े पर
मैंने पूछा कौन है
उसने कहा मैं हूँ बीता हुआ लम्हा
क्या मैं अंदर आ जाऊँ..
मैंने कहा आओ
ये किस बच्चे को साथ ले आए
उसने कहा ये तुम्हारा बचपन है
बहुत दिनो से ज़िद कर रहा था
तुम्हें अपने साथ अपने शहर
ले जाने के लिए
पुराने घर में पुराने दोस्तों के साथ
वो जानी पहचानी वाली सड़कों
का शहर छोटा सा शांत
चूल्हे की सौंधी रोटी
नदी का किनारा
बड़ी सी मुस्कुराहट
वाला भोला सा बचपन
इमली आम कच्चे जाम
दोपहर की सस्ती क़ुल्फ़ी
चाँदनी रात में बिछावन
कल नहीं था सोचने को
आज में जी भर कर जीने वाले
बड़े शहर के जाल में
पक्षी सा फँस के
रह गया जीवन
कब पंख टूट कर
बिखर गये
वापस अपने शहर
न आ सके
उस पुराने मकान से
जुड़ी हुई थी कईं यादें
आज उसके गिरने से
सब टुकड़े टुकड़े सा
बिखर गया
मैंने यादों को
सफ़ेद लिबास में
दफ़्न होते देखा है...
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 17 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया मेरी रचना को पाँच लिंकों का आंनद में स्थान देने पर ।
Deleteहर्फ़-हर्फ़ में दफ़न दर्द को महसूस किया मैंने।
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय सर ।
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-10-21) को "/"रावण मरता क्यों नहीं"(चर्चा अंक 4220) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर ।
Deleteमार्मिक अभिव्यक्ति मन को छूते भाव।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन।
सादर
तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया ।
Deleteबेहतरीन सृजन
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया ।
Deleteबचपन की सैर कराती भावनाओं से ओतप्रोत बहुत मार्मिक और प्यारी रचना!
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया मनीषा बेटी,आशीष और शुभकामनाएँ ।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय सर ।
Deleteहृदयस्पर्शी सृजन ।
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी सृजन ःः
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया ।
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय सर ।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय सर ।
Deleteदिल को छूती सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया ।
Deleteबहुत बेहतरीन हृदयस्पर्शी
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है
तहेदिल से शुक्रिया आप का संजय जी
Deleteतहेदिल से शुक्रिया आप का संजय जी
Deleteतहेदिल से शुक्रिया आप का संजय जी
Deleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय
Deleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय
ReplyDeleteमन को छूती सुंदर गहन रचना ।
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया
Deleteबचपन की यादें ऐसी ही होती हैं ...
ReplyDeleteनिकल जाएँ तो सब कुछ जैसे टूट जाता है बिखर जाता है और सिर्फ यादों के अलावा कुछ हाथ नहीं रहता ... मर्म को छूती है आपकी राचना ...
तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय🙏
DeleteThank you so much
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