Friday, 15 October 2021

बीते हुए लम्हें




मैंने यादों को सफ़ेद लिबास में

दफ़्न होते देखा है

कल किसी ने दस्तक दी

दरवाज़े पर

मैंने पूछा कौन है

उसने कहा मैं हूँ बीता हुआ लम्हा

क्या मैं अंदर आ जाऊँ..

मैंने कहा आओ

ये किस बच्चे को साथ ले आए

उसने कहा ये तुम्हारा बचपन है

बहुत दिनो से ज़िद कर रहा था

तुम्हें अपने साथ अपने शहर

ले जाने के लिए

पुराने घर में पुराने दोस्तों के साथ

वो जानी पहचानी वाली सड़कों

का शहर छोटा सा शांत

चूल्हे की सौंधी रोटी

नदी का किनारा

बड़ी सी मुस्कुराहट

वाला भोला सा बचपन

इमली आम कच्चे जाम

दोपहर की सस्ती क़ुल्फ़ी

चाँदनी रात में बिछावन

कल नहीं था सोचने को

आज में जी भर कर जीने वाले

बड़े शहर के जाल में

पक्षी सा फँस के

रह गया जीवन

कब पंख टूट कर

बिखर गये

वापस अपने शहर

न आ सके

उस पुराने मकान से

जुड़ी हुई थी कईं यादें

आज उसके गिरने से

सब टुकड़े टुकड़े सा

बिखर गया

मैंने यादों को

सफ़ेद लिबास में

दफ़्न होते देखा है...

35 comments:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 17 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया मेरी रचना को पाँच लिंकों का आंनद में स्थान देने पर ।

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  2. हर्फ़-हर्फ़ में दफ़न दर्द को महसूस किया मैंने।

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय सर ।

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-10-21) को "/"रावण मरता क्यों नहीं"(चर्चा अंक 4220) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर ।

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  4. मार्मिक अभिव्यक्ति मन को छूते भाव।
    बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  5. बेहतरीन सृजन

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  6. बचपन की सैर कराती भावनाओं से ओतप्रोत बहुत मार्मिक और प्यारी रचना!

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    1. तहेदिल से शुक्रिया मनीषा बेटी,आशीष और शुभकामनाएँ ।

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  7. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय सर ।

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  8. हृदयस्पर्शी सृजन ।

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  9. हृदयस्पर्शी सृजन ःः

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  10. सुंदर प्रस्तुति

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय सर ।

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  11. Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय सर ।

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  12. दिल को छूती सुंदर अभिव्यक्ति।

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया ।

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  13. बहुत बेहतरीन हृदयस्पर्शी
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आप का संजय जी

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    2. तहेदिल से शुक्रिया आप का संजय जी

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    3. तहेदिल से शुक्रिया आप का संजय जी

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  14. सुन्दर सृजन

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय

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  15. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय

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  16. मन को छूती सुंदर गहन रचना ।

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया

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  17. बचपन की यादें ऐसी ही होती हैं ...
    निकल जाएँ तो सब कुछ जैसे टूट जाता है बिखर जाता है और सिर्फ यादों के अलावा कुछ हाथ नहीं रहता ... मर्म को छूती है आपकी राचना ...

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय🙏

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