उसने पेपर पर
और मैंने माँ के हाथ पर
कर दिए दस्तखत
और हमें मिल गयी
अपने अपने हिस्से की दौलत
~
हर दिन डरती थी
तुम्हे खोने से
पर अब देखो
जब से तुम गए हो
ये डर भी खामोशी से
बिना बताये कहाँ चला गया
पता नहीं
~
मेरी कब्र की मिट्टी
आज कुछ नम है
सुना है आज तू
मेरी पसंद के
रजनीगंधा के फूल
लाने वाला था
~
बहुत दिन के बाद
मिल तो रहे हो
पर मैं तुम्हारे जितना
दौलतमंद नहीं
कहीं ऐसा न हो
चंद लम्हों के बाद
तुम्हे कुछ
ज़रूरी काम याद आ जाए
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteसार्थक सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (6-10-2020 ) को "उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना. "(चर्चा अंक - 3846) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
---
कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर ।
Deleteउसने पेपर पर
ReplyDeleteऔर मैंने माँ के हाथ पर
कर दिए दस्तखत
और हमें मिल गयी
अपने अपने हिस्से की दौलत
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर... लाजवाब।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteबहुत खूबसूरत।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 06 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में स्थान देने पर ।
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ।
Delete
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 7 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरी रचना को पाँच लिंको का आनंद में स्थान देने पर ।
Deleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ।
Deleteकहीं ऐसा न हो
ReplyDeleteचंद लम्हों के बाद
तुम्हें कुछ
ज़रूरी काम याद आ जाए
–क्या बात है...
–सुन्दर रचना सृजित
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया
Deleteक्या बात है !
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय ।
Deleteआदरणीया मधुलिका पटेल जी, नमस्ते👏! आपकी रचना बहुत भावपूर्ण है। पंक्तियाँ :
ReplyDeleteमेरी कब्र की मिट्टी
आज कुछ नम है
सुना है आज तू
मेरी पसंद के
रजनीगंधा के फूल
लाने वाला था । बहुत सुंदर है।
मैंने आपका ब्लॉग अपने रीडिंग लिस्ट में डाल दिया है। कृपया मेरे ब्लॉग "marmagyanet.blogspot.com" अवश्य विजिट करें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं।
आप अमेज़ॉन किंडल के इस लिंक पर जाकर मेरे कविता संग्रह "कौंध" को डाउनलोड कर पढ़ें।
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आप मेरे यूट्यूब चैनल के इस लिंक पर मेरी कविता का पाठ मेरी आवाज में सुनें। मेरे चैनल को सब्सक्राइब करें, यह बिल्कुल फ्री है।
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सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय
Deleteहर दिन डरती थी
ReplyDeleteतुम्हे खोने से
पर अब देखो
जब से तुम गए हो
ये डर भी खामोशी से
बिना बताये कहाँ चला गया
पता नहीं
...
जो जितना प्रिय होता है उससे दूर होने का डर उतना ही गहरा होता है
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया
Deleteदिल से निकली हुई पंक्तियां हर दिल को छू रही है । अति सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया
Deleteमेरी कब्र की मिट्टी
ReplyDeleteआज कुछ नम है
सुना है आज तू
मेरी पसंद के
रजनीगंधा के फूल
लाने वाला था - - बहुत ही मर्मस्पर्शी कविताएँ हैं आपकी - - दिल की गहराइयों से निकली हुईं - - नमन सह।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय ।
Deleteमन को छूती बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति दी।
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया ।
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का आदरणीय
ReplyDeleteहर क्षणिका बिल्कुल दिल से निकली हुई । आप मेरे ब्लॉग पर आईं तो आपके ब्लॉग का पता मिला । पहली बार पढ़ा शायद । बहुत उम्दा लिखती हैं । आभार ।
ReplyDeleteआदरणीया आपका तहेदिल से शुक्रिया ।
Deleteआपने ब्लॉग को फॉलो करने के लिए कोई गैजेट नहीं लगाया । अब बताइए भला कैसे फॉलो करें ?
ReplyDeleteआदरणीया संगीता जी मेरी ब्लाग के सीधे हाथ की और फालो करने के लिए बनाया हुआ है ।इस अपने पन के लिए बहुत सारा स्नेह,।शुभकामनाएँ ।
Deleteआपके इस सुन्दर पटल के रसास्वादन से मैं अनभिज्ञ और वंचित रहा। पर अब जुड़ चुका हूँ और आह्लादित हूँ।
ReplyDeleteसुन्दर रचनाओं हेतु साधुवाद आदरणीया।
आदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका ।
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएँ बहुत सुन्दर और भावपूर्ण, बधाई.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका,आदरणीया प्रणाम
Deleteवाह!!
ReplyDeleteउत्तम
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया
Deleteआह ! मन को छू गईं ये पंक्तियां । अभिनंदन मधूलिका जी ।
ReplyDeleteआदरणीय तहेदिल से शुक्रिया आप का 🙏 ।
Deleteवाह !बहुत सुंदर।
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएं बहुत भाव पूर्ण हैं |बहुत बहुत शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया सर
ReplyDeleteबहुत खूब ... हर क्षणिका अलग अंदाज़ और एकाग रँग की ... दिल को छूते हुए, कुछ बात कहते हुए ... लाजवाब हैं ...
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया सर 🙏 ।
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