पिछली बारिश के जमा पलों की गुल्लक खोलें
उसमें थे बंद कुछ पल रजनीगंधा से महके हुए
कुछ पल सिलाइयों से उधड़े हुए
कुछ पल जो हमने वक़्त से थे चुराए भीगे से
पहली बारिश की नम मिट्टी से सौंधे अल्फ़ाज़
आँगन के गड्ढों में जमा हुआ पानी
काग़ज़ की नाव बनाकर
ख़ुशियों से मुस्कुराते चेहरे
सीली हुईं लकड़ी से उठता हुआ धुआँ
चाय में घुला हुआ
धुएँ के इस पार वजूद है
उस पार बस एक ख़लिश है
पहली बारिश में
ज़िंदगी ढूंढता हर शख़्स
आओ पहली बारिश में ज़िंदगी ढूंढें ...
Saturday 21 October 2023
आओ मौसम की पहली बारिश में ज़िंदगी ढूँढे
Location:
India
Subscribe to:
Posts (Atom)