मीलों दूर तक पसरे हुए ये रास्ते
कभी कभी बोझिल हो जाते हैं कदम
जाने पहचाने रास्तों को
देर नहीं लगती अजनबी बनने में
जब सफर होता है तन्हा
और मंज़िलें होती गुम
रौशनी में नहाये हुए बाज़ार
रौनकों से सजी हुई दुकाने
पर मैं कुछ अलहदा
ढूंढ़ रही हूँ खरीदने के वास्ते
ढेर सारी खामोशियाँ
सौदागर बोला
इसका व्यापार नहीं होता
पर मिल जाएगी तो
ला दूंगा
तुम सजा लेना
अपने आस - पास
मेरे मन का हकीम
कभी कभी दिलासा देने
आ जाता है
खंडहरों के रास्ते से
की कभी न कभी ढूँढ लाऊंगा
गहरे ज़ख्मों की दवा
क्योंकि अभी तुम युद्ध के मैदान में हो
और जंग जीतने तक
लड़ना है तुम्हे
मंझे हुए घुड़सवार यूं ही नहीं
गिरा करते
जीवन के युद्ध में
पीठ दिखा कर
हिम्मत हारा नहीं करते