Saturday, 16 June 2018

तुम्हे लड़ना होगा


मीलों दूर तक पसरे हुए ये रास्ते
कभी कभी बोझिल हो जाते हैं कदम 
जाने पहचाने रास्तों को 
देर नहीं लगती अजनबी बनने में 
जब सफर होता है तन्हा
और मंज़िलें होती गुम
रौशनी में नहाये हुए बाज़ार 
रौनकों से सजी हुई दुकाने 
पर मैं कुछ अलहदा 
ढूंढ़ रही हूँ खरीदने के वास्ते 
ढेर सारी खामोशियाँ 
सौदागर बोला
इसका व्यापार नहीं होता
पर मिल जाएगी तो
ला दूंगा 
तुम सजा लेना 
अपने आस - पास 
मेरे मन का हकीम
कभी कभी दिलासा देने
आ जाता है 
खंडहरों के रास्ते से 
की कभी न कभी ढूँढ लाऊंगा
गहरे ज़ख्मों की दवा
क्योंकि अभी तुम युद्ध के मैदान में हो 
और जंग जीतने तक
लड़ना है तुम्हे 
मंझे हुए घुड़सवार यूं ही नहीं
गिरा करते
जीवन के युद्ध में 
पीठ दिखा कर 
हिम्मत हारा नहीं करते 


Tuesday, 5 June 2018

उम्र ठहरती नहीं


एक उम्र जो गुम हो गई 
आज बहुत ढूंढा मैंने
अपनी उम्र को 
पता नहीं कहाँ चली गई 
नहीं मिली
रेत की तरह 
मुट्ठी से फिसल गई
या रेशा रेशा हो कर 
हवा में उड़ गई
बारिश की बूँद की तरह
मिट्टी में गुम हो गई
सूरज की किरणों के साथ
पहाड़ों के पीछे छिप गई
वो मुझे जैसे छू कर
कहीं ठहरी ही नहीं
गुज़रती ही गई
हम उम्र के अंदर
कहीं ठहर जाते हैं
पर उम्र हममें कहीं नहीं ठहरती
ढलान से लुड़कता हुआ
मिट्टी का मर्तबान है 
ये ज़िन्दगी
आखिर में जीवन
टूट कर बिखर जाता है
पंचतत्त्व में
विलीन होने के लिए