Sunday, 2 April 2023

पत्तियों सी ज़िन्दगी ...

 मुझे मेपल ट्री की पत्तियाँ बहुत ख़ूबसूरत लगती हैं।

कल मेरी बेटी ने विदेश से लौटते वक्त

मुझसे पूछा..माँ आपके लिए क्या लाऊँ तौहफ़ें में

मैंने कहा बस दो चार

मेपल ट्री की पत्तियाँ ले आना 

चाहे सूखी ही क्यों हो।

ये ज़िंदगी की हकीकत का आईना हैं।

सूखी पत्तियाँ अच्छी लगती हैं।

सच जीवन का आपके सामने परोस देती हैं।

एक वक्त के बाद वो दरख़्त 

को अलविदा कह देती हैं।

या शायद दरख़्त उसे 

अहसास कराती हैं..ये 

कोमल पत्तियाँ जीवन की परिपक्वता की तरह

फिर पीली हो चुकी पत्तियाँ

जीवन की पूर्णता को दर्शाती हुई।

टूट कर बिखरने के कगार पे

मानव जीवन की तरह

रूह को जिस्म से जुड़े रहने तक

और फिर टूट कर बिखर गयी

वजूद के खोने तक

इस जहान में खो गयी

जैसे जिस्म रूह से जुदा होकर

खाक होकर उड़ गया

कायनात में कहीं

शाख से जुदा हुए पत्ते की तरह

कहाँ से कहाँ तक का सफ़र

फिर कहाँ जन्म लेना है कुछ नहीं खबर।

सूखे पत्ते की तरह चूर चूर हो जाता

हमारा घमंड, ईर्ष्या, घृणा, द्वेष

अपना वजूद खो कर

हवा में घुल जाना 

रूह की तरह ...