जाड़ों की सर्द रातें
कॉफी के मग
फायर प्लेस की लपटें
महंगे कंबलों की गर्माइश
कल के भविष्य की चिंता में
नींद की तरसती आँखों
का ख्वाब
काश एक नींद का
टुकड़ा मिल जाता
एक सर्द रात में
जीवन के दो बिखरे हुए हालात
पटरी पर सोती
पतले कम्बलों में
ठिठुरती ज़िन्दगी
बिछावन की जगह आज का अखबार
जिसकी हैडलाइन है,
"आज वर्ष का सबसे ठंडा दिन है"
आधे फटे कम्बल में
चिपटा हुआ
गली का आवारा कुत्ता
ठंडी और राख हो चुकी
खोखे वाली लकड़ी की आग
दिन भर की मज़दूरी के बीच
नींद बहुत गहरी है
आज में जीता
आज पेट भरा है
कल मेरा वजूद
ज़िंदा है या मरा
किसी को शायद
फर्क नहीं पड़ेगा
पर नींद के ख्यालों में
एक ख्वाब है कहीं
काश एक और
कम्बल का टुकड़ा मिल जाता
ये जाड़े की रातें
बड़ी अजीब हैं ये
किस्मत की बातें