बहुत अरसों से पहली बारिश में भीगा करती थी
अपने चेहरे को ऊपर करके
दोनो हथेलियों को खोल कर
पता नहीं क्यों वो भीगना
मुझे बहुत ही सुकून देता
वो भीगने का सिलसिला
साल दर साल चलता रहा
बारिश का मौसम आता
और मेरे अंतर मन के
घुटन के सारे सैलाब को
बह ले जाता ।
आँखों के कोरों के मोतियों को
अपनी बूँदों में मिलाने का जादू
बारिश को ही आता है ।
मेरे ज़हन को हल्का करके
वो मोती कहीं किसी
सीप में बंद हो जाते होंगे ।
बहुत ही ज़हीन सा लफ़्ज़ है बारिश
बड़ा इंतेज़ार रहता है
पहली बारिश का
बूँदे और बारिश कि आवाज़
घंटों सुनते रहने के बाद भी
पहली मुलाक़ात सी नई लगती है
इस बरस भी
बारिश का मौसम आने वाला है
भीगना है मुझे क्योंकि
पिछली बारिश की बूँदों
के निशान को मिटाने
गुज़रे हुए लम्हों को मिट्टी में दबाने
नई बूँदें आयी हैं
बारिश का मौसम आ गया ।
सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर रचना mam
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय
Deleteबारिश में भीगने का चित्रण शब्दों में उकेर कर मन की बातों को बहुत सुन्दरता से साकार किया है मधुलिका जी ! बहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीया
Deleteबारिश का मौसम आता
ReplyDeleteऔर मेरे अंतर मन के
घुटन के सारे सैलाब को
बह ले जाता ।
आँखों के कोरों के मोतियों को
अपनी बूँदों में मिलाने का जादू
बारिश को ही आता है ।
वाह!!!
बारिश के मौसम का बहुत ही लाजवाब शब्दचित्रण ।
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया
Deleteबहुत ही भावपूर्ण कविता. बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteवाह! बहुत सुंदर!!!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर काव्य रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका
Deleteवाह..💙
ReplyDeleteआदरणीय सर बहुत बहुत आभार आपका
Deleteमनोभावों को बहुत ही कोमलता से प्रस्तुत करती सुंदर रचना।
ReplyDeleteसस्नेह।
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया
Deleteबेहद खूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीया
Delete