Saturday, 16 September 2023

बारिश का मौसम आ गया



बहुत अरसों से पहली बारिश में भीगा करती थी 

अपने चेहरे को ऊपर करके

दोनो हथेलियों को खोल कर 

पता नहीं क्यों वो भीगना

मुझे बहुत ही सुकून देता 

वो भीगने का सिलसिला 

साल दर साल चलता रहा 

बारिश का मौसम आता

और मेरे अंतर मन के 

घुटन के सारे सैलाब को 

बह ले जाता

आँखों के कोरों के मोतियों को 

अपनी बूँदों में मिलाने का जादू 

बारिश को ही आता है

मेरे ज़हन को हल्का करके 

वो मोती कहीं किसी

सीप में बंद हो जाते होंगे

बहुत ही ज़हीन सा लफ़्ज़ है बारिश

बड़ा इंतेज़ार रहता है 

पहली बारिश का 

बूँदे और बारिश कि आवाज़ 

घंटों सुनते रहने के बाद भी 

पहली मुलाक़ात सी नई लगती है 

इस बरस भी 

बारिश का मौसम आने वाला है 

भीगना है मुझे क्योंकि 

पिछली बारिश की बूँदों

के निशान को मिटाने

गुज़रे हुए लम्हों को मिट्टी में दबाने 

नई बूँदें आयी हैं 

बारिश का मौसम गया

24 comments:

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय

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  2. बहुत सुंदर रचना mam

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय

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  3. बहुत बढ़िया

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय

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  4. बारिश में भीगने का चित्रण शब्दों में उकेर कर मन की बातों को बहुत सुन्दरता से साकार किया है मधुलिका जी ! बहुत सुन्दर सृजन ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया

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  5. बारिश का मौसम आता

    और मेरे अंतर मन के

    घुटन के सारे सैलाब को

    बह ले जाता ।

    आँखों के कोरों के मोतियों को

    अपनी बूँदों में मिलाने का जादू

    बारिश को ही आता है ।
    वाह!!!
    बारिश के मौसम का बहुत ही लाजवाब शब्दचित्रण ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया

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  6. बहुत ही भावपूर्ण कविता. बधाई और शुभकामनायें

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  7. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय

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  8. बहुत सुंदर काव्य रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका

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  9. बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका

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  10. Replies
    1. आदरणीय सर बहुत बहुत आभार आपका

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  11. मनोभावों को बहुत ही कोमलता से प्रस्तुत करती सुंदर रचना।
    सस्नेह।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया

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  12. बेहद खूबसूरत रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया

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