Wednesday, 12 January 2022

मेरी आवाज़ खो सी गइ है कहीं


 ज़माने की रौनक में 

ज़िन्दगी ढूंढने का मसला 

रफ़्तार के बीच 

कहीं पीछे छूट जाने का डर 

पहचान को बरक़रार 

रखने की जद्दोजहत 

हुज़ूम के बीच की ज़िन्दगी 

जहाँ तिल भर भी हिलने की 

जगह न हो 

कभी कभी भ्रम होता है 

जीवन को सांसे 

मिल भी रही है की नहीं 

कोई खेल रहा है 

तुम्हारे साथ 

ताश की बाज़ी 

कौन सा पत्ता अब 

टेबल पर पड़ने वाला है 

बढ़ता टेंशन का लेवल 

मेरी आवाज़ मुझमें ही 

खो सी गइ है कहीं 

दुनिया के बाज़ार में

शब्द सब खर्च हो गए हैं 

जीने के लिए अगले 

दिन में ढकेल दिए 

जाते हो 

इतनी रफ़्तार में 

दोस्त और दुश्मन

दोनों को समझ पाना 

बड़ा मुश्किल है

प्यार और नफरत 

सिक्के के दो पहलु

पर सिक्का अब

घूमता ही रहता है

बहुत तेज़ी से 

जिससे की तुम 

कुछ महसूस ही 

नहीं कर पाओ 

जब दूभर हो जाता है 

इन सब के बीच जीना 

तब अकेले निकल पड़ना 

लॉन्ग ड्राइव के लिए 

सन्नाटे की खोज में 

जहाँ अपनी आवाज़ 

लौटकर खुद अपने 

को सुनाई दे