Friday 3 July 2015

तेरे जाने के बाद से न आया वैसा सावन


तेरे जाने के बाद से न आया वैसा सावन
जब गिरता था सूखी धरती पर 
वो बारिश का पहला पानी
सारे अरमानों को जगा देती थी
मिट्टी की सौंधी खुशबू
 दिल की किताब के जब पलटते हैं पन्ने 
उस बारिश की एक बूंद
अब भी आँखों में कहीं अटकी हुई है 
वो बारिश में भीगनें की उम्र 
छप -छप करते तेरे वो कदम 
पायल के घुंघरू की आवाज़ मुझे बुलाती थी 
झलक दिख जाती अगर वो
बारिश की बूदें हथेली पर समेटने छत पर आती 
उतना ही काफी था तमाम बंदिशों में
दिल कुछ और ज़्यादा नहीं मांगता था 
तुम्हारी वो झलक ज़हन में
अब भी कहीं कैद है
बस वक्त के साथ उड़ गई
वो मिट्टी की और यादों की खुशबू
अब बारिश आती तो है
पर दिल को नहीं छूती
अब तो बस यादें हैं 
एकांत में मुस्कुराने के लिए
तेरे जाने के बाद से न आया वैसा सावन ।

25 comments:

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मनोजकुमार जी

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (05-07-2015) को "घिर-घिर बादल आये रे" (चर्चा अंक- 2027) (चर्चा अंक- 2027) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा मंच मे शामिल करने के लिए।

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  3. बहुत खूबसूरत कविता

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी

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  4. अपना प्रिय साथ हो तो मौसम बड़ा सुहावना लगता है दूर बिछोह पर याद बहुत आती हैं ....
    बहुत सुन्दर रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका कविता जी.. मेरी रचना पढने और सराहने के लिए..

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  5. मर्मस्पर्शी कविता...आपने ही आस-पास दिल के करीब...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका अभिषेक जी |

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  6. विरह की वेदना हर खुशबू छीन लेती है ... किसी के न होने पे सब कुछ बेमानी हो जाता है ...
    अच्छी रचना है ...

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  7. बहुत बहुत आभार आपका दिगम्बर जी

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  8. दिल को छू लेने वाली रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका राजेश कुमार जी मेरी रचना पढने और सराहने के लिए. देर से आभार व्यक्त कर रह हूं छमा चाहती हूं.

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  9. सुंदर भावाभिव्यक्ति

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    1. देर से आभार व्यक्त करने के लिए छमा चाहती हूं. बहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरी रचना पढने और सराहने के लिए.

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  10. एकांत में मुस्कुराने के लिए
    तेरे जाने के बाद से न आया वैसा सावन ।

    कविता का अन्त लाजवाब् है और मन को मोह लेता है ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका संजय जी

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  11. बहुत खूब है जी , आपकी बारिश ने क्या खूब भिगाया , शुभकामनायें आपको ! हमारे ब्लॉग पर आमंत्रण है आपका - www.raj-meribaatein.blogspot.com

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  12. बहुत बहुत शुक्रिया आप का नवीन जी |

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  13. बहुत खुबसूरत अहसास शब्दों का.... आभार
    सुन्दर शब्द रचना..
    http://savanxxx.blogspot.in

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का सावन कुमार जी ।

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    2. आप तो साक्षात् सावन हैं , आपको सावन में कितना मज़ा आता होगा न ! बहुत सुन्दर नाम है आपका ।

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  14. सचमुच सावन रुला - रुला देता है , स्मृतियॉ अतीत में ले जाती हैं । अद्भुत - व्यथा - कथा ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का शकुंतला जी । आप को मेरी रचना और मेरा नाम पसंद आया ।

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