सोचना समझना और चलना उन रास्तों पर
पर फिर कभी न निकल पाना उन बंधनो से
जो वक़्त के साथ बंधते और कस्ते जाते हैं |
एक अजगर की पकड़ की तरह
जहाँ दम घुटने के अलावा कुछ नहीं है
जो दिन रात आपका सुख चैन निगल रहा है
और धीरे - धीरे आपको भी |
पर ज़िन्दगी अगर हार कर भी हारती नहीं
निकल भागने का मौका तलाशती वो टूटी हुई हिम्मत
वो दल दल में धस्ता जीवन
पर कहीं अब भी खुला आकाश
और उम्मीद का एक तारा
और थोड़ी सी रौशनी
टूटी नाव को शायद अब मिल रहा है किनारा |
तूफान तो थमा है ज़िन्दगी का
पर सब अस्त व्यस्त उजड़ा और अधूरा - अधूरा सा
तुम मेरी हिम्मत का आधा टुकड़ा संभाल कर रखना
जब तक मैं उस बाकी आधे टुकड़े को ढूंढ न लाऊं |