हर रिश्ते को काटती और बोती हूँ
हर रिश्ते के रास्ते से मैं गुज़री हूँ
हर रिश्ते को मैने जिया है
हर रिश्ते की कड़वाहट को मैंने पिया है
मैं एक स्त्री हूँ इसलिए मैंने
फटे टूटे नए पुराने सभी रिश्ते सिए हैं
सब रिश्तों को दम घुटने से बचाती हूँ
इसलिए पता नहीं मैं इस फेर में
कितनी बार जीती और मर जाती हूँ
कुछ रिश्ते ही सुख देते हैं
बाकी सब तो घावों से दुख देते हैं
पर मजबूरी सबको ढोना है
रिश्ते के ताने बांने का बिछौना है
नीदं भले ना आए
इसी पर हर स्त्री को सोना है |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-05-2015) को "माँगकर सम्मान पाने का चलन देखा यहाँ" {चर्चा - 1985} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
शास्त्री जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteबहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteटंकण से हुई गल्तियाँ ठीक कर लें पीया (पिया) ळिया (लिया) बिछौना आदि ।
सूचित करने के लिए शुक्रिया आपका |
Delete
ReplyDeleteनीदं भले ना आए
इसी पर हर स्त्री को सोना है |
बहुर सुन्दर
उत्तर दो हे सारथि !
मेरी ब्लाग पढने और सराहने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteयथार्थपूर्ण सुन्दर रचना
ReplyDeleteमेरी रचना पढने के लिये और प्रशंसा के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
Delete"
ReplyDeleteमैं एक स्त्री हूँ इसलिए मैंने
फटे टूटे नए पुराने सभी रिश्ते सिए हैं
सब रिश्तों को दम घुटने से बचाती हूँ"
बेहतरीन और उत्कृष्ट रचना !!
मेरी ब्लाग पढने और सराहने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteसुन्दर… तकलीफ़देह है तो केवल ये मजबूरी का भाव।
ReplyDeleteशुक्रिया आपका रश्मि जी
ReplyDeleteबेहद सार्थक रचना। स्त्री सहनशीलता की मूरत होती है।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका कहकशां जी
ReplyDeleteनारी मन के भाव लिखे हैं ... सच है रिश्तों को जितना नारी ढोती और भोगती है उतना पुरुष नहीं ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर जी
ReplyDeleteमधुलिका जी आपकी इस रचना को हमने कविता मंच ब्लॉग पर स्थान दिया है
ReplyDeleteसंजय भास्कर
बहुत शुक्रिया संजय जी मेरी रचना कविता मंच पर शामिल करने के लिए । कृपया मुझे लिंक भी दीजिये वेबसाइट का । धन्यवाद ।
Deleteमधुलिका जी कविता मंच ब्लॉग का लिंक
ReplyDeleteसंजय भास्कर
http://kavita-manch.blogspot.in
बहुत बहुत आभार.
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