Monday, 18 May 2015

मेरा घर कहाँ है माँ


माँ तुम बचपन से
कहती आई हो
एक दिन मैं अपने घर जाउंगी
और अपने सपने
पूरे कर लूंगी
पर माँ वहाँ जो
मेरे अपने रहते हैं
वो कहते हैं
“यह मेरा घर है
यहाँ सपनों वाली नींद की
सख़्त पाबन्दी है।”



4 comments:

  1. बहुत सुंदर ॥

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  2. बहुत बहुत शुक्रिया नीरज जी आपका

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  3. आप इस प्रस्तुति को को कविता मंच पर साँझा किया गया है

    संजय भास्कर
    http://kavita-manch.blogspot.in/2015/10/blog-post.html

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।

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