तेरे जाने के बाद से न आया वैसा सावन
जब गिरता था सूखी धरती पर
वो बारिश का पहला पानी
सारे अरमानों को जगा देती थी
मिट्टी की सौंधी खुशबू
दिल की किताब के जब पलटते हैं पन्ने
उस बारिश की एक बूंद
अब भी आँखों में कहीं अटकी हुई है
वो बारिश में भीगनें की उम्र
छप -छप करते तेरे वो कदम
पायल के घुंघरू की आवाज़ मुझे बुलाती थी
झलक दिख जाती अगर वो
बारिश की बूदें हथेली पर समेटने छत पर आती
उतना ही काफी था तमाम बंदिशों में
दिल कुछ और ज़्यादा नहीं मांगता था
तुम्हारी वो झलक ज़हन में
अब भी कहीं कैद है
बस वक्त के साथ उड़ गई
वो मिट्टी की और यादों की खुशबू
अब बारिश आती तो है
पर दिल को नहीं छूती
अब तो बस यादें हैं
एकांत में मुस्कुराने के लिए
तेरे जाने के बाद से न आया वैसा सावन ।
Very Nice Poem.....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मनोजकुमार जी
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (05-07-2015) को "घिर-घिर बादल आये रे" (चर्चा अंक- 2027) (चर्चा अंक- 2027) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत बहुत शुक्रिया आपका शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा मंच मे शामिल करने के लिए।
Deleteबहुत खूबसूरत कविता
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी
Deleteअपना प्रिय साथ हो तो मौसम बड़ा सुहावना लगता है दूर बिछोह पर याद बहुत आती हैं ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत आभार आपका कविता जी.. मेरी रचना पढने और सराहने के लिए..
Deleteमर्मस्पर्शी कविता...आपने ही आस-पास दिल के करीब...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका अभिषेक जी |
Deleteविरह की वेदना हर खुशबू छीन लेती है ... किसी के न होने पे सब कुछ बेमानी हो जाता है ...
ReplyDeleteअच्छी रचना है ...
बहुत बहुत आभार आपका दिगम्बर जी
ReplyDeleteदिल को छू लेने वाली रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका राजेश कुमार जी मेरी रचना पढने और सराहने के लिए. देर से आभार व्यक्त कर रह हूं छमा चाहती हूं.
Deleteसुंदर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteदेर से आभार व्यक्त करने के लिए छमा चाहती हूं. बहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरी रचना पढने और सराहने के लिए.
Deleteएकांत में मुस्कुराने के लिए
ReplyDeleteतेरे जाने के बाद से न आया वैसा सावन ।
कविता का अन्त लाजवाब् है और मन को मोह लेता है ।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका संजय जी
Deleteबहुत खूब है जी , आपकी बारिश ने क्या खूब भिगाया , शुभकामनायें आपको ! हमारे ब्लॉग पर आमंत्रण है आपका - www.raj-meribaatein.blogspot.com
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का नवीन जी |
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत अहसास शब्दों का.... आभार
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना..
http://savanxxx.blogspot.in
बहुत बहुत शुक्रिया आप का सावन कुमार जी ।
Deleteआप तो साक्षात् सावन हैं , आपको सावन में कितना मज़ा आता होगा न ! बहुत सुन्दर नाम है आपका ।
Deleteसचमुच सावन रुला - रुला देता है , स्मृतियॉ अतीत में ले जाती हैं । अद्भुत - व्यथा - कथा ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का शकुंतला जी । आप को मेरी रचना और मेरा नाम पसंद आया ।
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