Friday, 31 July 2015

तक़दीर का कैनवास


बड़े ही ख़ूबसूरत रंगों से भरा हुआ था
ज़िंदगी का कैनवास 
अचानक से सारे रंग छलक गए
वो मेरे सूर्तेहाल और मुसतकबिल को 
पूरा का पूरा भिगो गए 
अब नया कैनवास है 
उसके लिए नहीं बचा कोइ रंग 
नया कैनवास मेरे वजूद की 
पहचान बन गया है 
डर लगता है 
रंगो को छूने में, क्योंकि?
छलके थे जब सारे रंग 
मिलकर बन गए थे स्याह रंग 
जिससे बनती है ख़ौफ़नाक तस्वीर
जिससे लिखी जाती है 
एक अपमान वाली भाषा 
जिससे बनती है भयानक आँखें
जो बंद दरवाजे के बाद भी घूरती रहती है 
उस कैनवास में अब
बिना रंगो वाली तस्वीर बन गई है 
जिसमें नजर आते है 
हिरास, बदर्जए-मजबूरी, बदरौनक और हिज्र 
उस कैनवास को स्याह रंगों से बचा कर रखना
बमुशिकल है ।

12 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (01-08-2015) को "गुरुओं को कृतज्ञभाव से प्रणाम" {चर्चा अंक-2054} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    गुरू पूर्णिमा तथा मुंशी प्रेमचन्द की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने का ।

      Delete
  2. बेहद खूबसूरत रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका राजेश कुमार जी ।

      Delete
  3. एक सा रंग जीवन में कभी नहीं रहता
    बहुत ही सुन्दर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका कविता जी ।

      Delete
  4. bahut baarik, marmsparshi, hridaygraahi rachna, shubhkamnayein aapko!

    ReplyDelete
  5. बहुत बहुत शुक्रिया आपका नवीन कुमार जी

    ReplyDelete
  6. इन्ही रंगों से दुबारा नए रंग निकलते हैं ... अलग अलग रंगों से जी जीवन बनता है ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर जी

      Delete
  7. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका सुशील कुमार जी.

      Delete