पर तूने मुझे प्यार के भ्रमजाल में भरमाया तो सही
तेरी बातें कच्चे रंग सी धुल के निकली
तेरे वादे बिन पानी वाले बादलों से हल्के निकले
सच्चे प्यार में तूने वफ़ा की आजमाइश की
और तूने बेवफ़ाइ की हद पार की
मैने तो अख़िरि सांस तक किया तेरा इतंजार
पर तूने तोड़ डाली मेरी आस की पतवार
प्रेम की परिभाषा पढ़ने के तेरे तरीके कभी थे ही नहीं सही
पर तूने मेरे मरने पर झूठा मातम मनाया तो सही
तू मेरी कबर पर आया तो बार-बार
पर गुलाब में छुपा कर कांटे भी लाया हजार
केसी ये तेरी रज़ा
देती रही मुझे हर पल सज़ा
गहरे एहसासों से सजी कविता।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी मेरी कविता पढने और सराहने के लिए
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-07-2015) को "कुछ नियमित लिंक और एक पोस्ट की समीक्षा" {चर्चा अंक - 2041} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत बहुत आभार आपका शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा मंच मे शामिल करने के लिए.
Deleteसुन्दर रचना बधाई !
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका मनोजकुमार जी.
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी
Deleteप्यार का अहसास है ही कुछ ऐसा. सुंदर नज़्म.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका रचना जी
Deleteबेवफा प्रेम के एहसास को शब्दों में जिया है आपने ...
ReplyDeleteकमाल की रचना प्रस्तुति ...
बहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर जी
Deleteसुंदर ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका सुशील कुमार जी
DeleteVery nice post ...
ReplyDeleteWelcome to my blog on my new post.
बहुत बहुत शुक्रिया आप का संजू जी
Deleteइस सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति पर आप को बधाई ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का मोहन सेठी जी |
Deleteतूने कभी मुझे चाहा ही नहीं
ReplyDeleteपर तूने मुझे प्यार के भ्रमजाल में भरमाया तो सही
मन के किसी कोने में भावुक पल एवं कोमलता आपना स्थायी रूप सुरक्षित रखता है। भाव तरंगे अच्छी लगी।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका संजय जी
Deleteबहुत अच्छा लगा आपकी रचना पढ़ कर. आपकी कविताओं में बड़ी गहराई है. इसी तरह लिखते रहिएगा
ReplyDeletewww.anilsahu.blogspot.com
बहुत बहुत शुक्रिया आपका अनिल जी मेरी रचना पढने और सराहने के लिए
Deleteआपकी ब्लाग भी ज़रूर देखूँगी।
DeleteBahut Khoob
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका मदन मोहन जी.
Deleteमधुलिका जी, प्यार की बेवफाई को बहुत ही सुदर तरीके से प्रस्तुत किया है आपने ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का ज्योति जी .
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