Saturday, 18 July 2015

केसी ये तेरी रज़ा



तूने कभी मुझे चाहा ही नहीं
पर तूने मुझे प्यार के भ्रमजाल में भरमाया तो सही
तेरी बातें कच्चे रंग सी धुल के निकली
तेरे वादे बिन पानी वाले बादलों से हल्के निकले 
सच्चे प्यार में तूने वफ़ा की आजमाइश की 
और तूने बेवफ़ाइ की हद पार की 
मैने तो अख़िरि सांस तक किया तेरा इतंजार
पर तूने तोड़ डाली मेरी आस की पतवार
प्रेम की परिभाषा पढ़ने के तेरे तरीके कभी थे ही नहीं सही
पर तूने मेरे मरने पर झूठा मातम मनाया तो सही
तू मेरी कबर पर आया तो बार-बार 
पर गुलाब में छुपा कर कांटे भी लाया हजार 
केसी ये तेरी रज़ा
देती रही मुझे हर पल सज़ा

27 comments:

  1. गहरे एहसासों से सजी कविता।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी मेरी कविता पढने और सराहने के लिए

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-07-2015) को "कुछ नियमित लिंक और एक पोस्ट की समीक्षा" {चर्चा अंक - 2041} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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    1. बहुत बहुत आभार आपका शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा मंच मे शामिल करने के लिए.

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  3. सुन्दर रचना बधाई !

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका मनोजकुमार जी.

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी

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  5. प्यार का अहसास है ही कुछ ऐसा. सुंदर नज़्म.

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका रचना जी

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  6. बेवफा प्रेम के एहसास को शब्दों में जिया है आपने ...
    कमाल की रचना प्रस्तुति ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर जी

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका सुशील कुमार जी

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  8. Very nice post ...
    Welcome to my blog on my new post.

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का संजू जी

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  9. इस सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति पर आप को बधाई ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का मोहन सेठी जी |

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  10. तूने कभी मुझे चाहा ही नहीं
    पर तूने मुझे प्यार के भ्रमजाल में भरमाया तो सही
    मन के किसी कोने में भावुक पल एवं कोमलता आपना स्थायी रूप सुरक्षित रखता है। भाव तरंगे अच्छी लगी।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका संजय जी

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  11. बहुत अच्छा लगा आपकी रचना पढ़ कर. आपकी कविताओं में बड़ी गहराई है. इसी तरह लिखते रहिएगा
    www.anilsahu.blogspot.com

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका अनिल जी मेरी रचना पढने और सराहने के लिए

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    2. आपकी ब्लाग भी ज़रूर देखूँगी।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका मदन मोहन जी.

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  13. मधुलिका जी, प्यार की बेवफाई को बहुत ही सुदर तरीके से प्रस्तुत किया है आपने ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का ज्योति जी .

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