बहुत सारे अक्श हैं देखे
वो तेरी मेरी उसकी आँख का पानी
सबकी अलग है कहानी
बचपन के मासूम मोती
जब आँखों में भर आएँ
माँ कुछ देर भी गर
आँखों से ओझल हो जाए
किशोरों की आँखें
अचानक से कब भर आएँ
व्याकुल मन का पंछी
पिंजरा तोड़ने को झटपटाए
युवा मन और ख़ामोश सिसकियाँ
एकांत में घंटों भिगोते सिरहाने
नाकामि, विरह, त्याग
अनगिनत कहानियाँ
एक प्रोढ़ आँखों के आँसू
बेटा चला गया विदेश
बेटी को बिदा किया परदेस
बड़े दिनों के बाद उनकी आती है जब चिठ्ठी
रुला जाते हैं उनके न आने के कारण
एक वृद्ध की आँख़ों के आँसू
सिर्फ आँसू ही आँसू
फर्श पर बेटे की मौत बिख़रि पड़ी
उसकी किरचें आँखों में है गढ़ी
औलाद का गम, जिसकी थी जीने की उम्र
कहीं जीवनसाथी अलविदा कह गया
अकेलेपन की सज़ा दे गया
इस उम्र का आँसू
जो सूखता भी नहीं
रुकता भी नहीं
और बहता भी नहीं
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
ReplyDeleteसबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया !
गम और आँसू के बिना जिंदगी में ख़ुशी के भी तो की मायने नहीं है! हर एक को छूती हुयी मार्मिक अभ्व्यक्ति लिए सुन्दर रचना!
बहुत बहुत शुक्रिया आपका कृष्णा जी मेरी रचना पढने और सराहने के लिए |
Deleteइस उम्र का आँसू
ReplyDeleteजो सूखता भी नही
रूकता भी नहीं
और बहता भी नही।------इस उम्र तक आते-आते शायद आँसूओं की प्रकृति भी बदल जाती है।खूबसूरत कविता।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी मेरी रचना पढने और सराहने के लिए
Deleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका हिमकर जी मेरी रचना पढने और सराहने के लिए.
Deleteबहुत ही सुन्दर ! आभार एवं शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका संजय जी
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