Tuesday, 4 August 2015

मेरी बेटी और डायबिटीज़


तुम आइ थी जब मेरी गोद में 
मुझे लगा एक परी छुपी हुइ थी
जैसे बादलों की ओट में 
तुम्हारी शरारतें वो चंचलता
तुम्हारा बचपन अभी बीता भी न था 
और भाग्य दे गया बहुत सी चुभन
तुम में है अदभुत प्रतिभा 
तुम हो सुंदरता की प्रतिमा 
तुम्हारी ये सुइयों से दोस्ती
तुम हँस कर छिपा लेती हो 
अपने आँखों के मोती 
तुम्हारी उम्र के सुनहरे ख्वाब
और आगे बढ़ने का जज़्बा
तुम्हारा साहस और हिम्मत संग
रोज़ डायबिटीज़ से लड़ने की जंग 
तुम्हारा युवा मन बहुत कुछ करना चाहता है 
पर तुम्हारा भाग्य कुछ निणनय टालता भी है
हर रोज़ सुइयों की चुभन 
और तुम्हारा कोमल तन
मेरे मन को एक एक सुइ से 
गहरे भेदता जाता तुम्हारा तकलीफों वाला जीवन
तुम मेरा गम मुस्कुरा कर बाँटना चाहती हो 
कहती हो माँ मेरे जैसे है लाखों बच्चे 
पर क्या करूँ मैं एक माँ जो हूँ

मेरी बेटी १२ साल से टाइप वन डायबिटिक है...

11 comments:

  1. साहसी बच्ची को शुभ कामनाएँ।

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    1. आपका बहुत शुक्रिया । वह डायबिटिक लोगों के लिए बहुत कुछ करना चाहती है । आप जैसे लोगों से ही उसे प्रोत्साहन मिलता है ।

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  2. ब्लाग बुलेटिन पर मेरी रचना को स्थान देने का शुक्रिया ।

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  3. साहसी बच्ची के लिये मंगलकामनायें ।

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    1. बेटी को प्रोत्साहित करने का बहुत बहुत शुक्रिया । आप किसी डायबिटिक को जानते हो तो उन तक ये ब्लॉग जरुर पहुचाये । आभार ।

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  4. मर्ज़ से डरे नहीं, लड़े. हौसला बीमारी से लड़ने की ताक़त देती है. मंगलकामनाएं.

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    1. बहुत बहुत आभार आपका हिमकर जी ।

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  5. बच्ची को शुभ कामनाएँ

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ओमकार जी ।

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  6. बिटिया एक दिन अपनी हिम्मत और जज्बे से रोग की यह जंग जीत जायेगी ऐसा मुझे विश्वास है. हिम्मत रखिये जानती हूँ माँ सा दिल और दिल नहीं मिलता इस जहाँ में में।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका कविता जी.

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