Tuesday 16 June 2015

सावन की बूँदें


सावन की बूँदें जब 
टिप -टिप हथेली पर गिरती हैं 
एक -एक यादों की पहेली 
धीमें- धीमें खुलती है

दिल में बंद यादों की पहेली
वो है उसकी सबसे अच्छी सहेली
खुलती है जब खिलखिलाति है तब
बीते सुनहरे पलों में वो उसे ले जाती है 

जहाँ थी भीगी चुनरी
झूले की पीगें
धूएँ की सौंधी खुशबू 
गर्म चाय के प्यालों में घुलती थी 
वो नज़रों का कहीं थम जाना 

कुछ पल ठहरना
ठहर कर वापस आ जाना
वापस आते आते
हज़ारों पलों की सौगातें समेट लाना
बादलों के बीच बिजली का शोर 

अचानक से हाथ थामने को 
कर देती मजबूर 
वो तेज़ आवाज़ जब थमती 
चेहरे पर मोती बिखेर जाती

बारिश न थमे 
सिर्फ थमे तो यह वक़्त
उन चंद पलों में
जी ली उसने सारी ज़िन्दगी

15 comments:

  1. बारिश न थमे
    सिर्फ थमें तो यह वक्त
    उन चन्द पलों में
    जी ली उसनें सारी जिंदगी।---------------क्या बात है!
    लाजवाब कविता।

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  2. बारिश न थमे
    सिर्फ थमें तो यह वक्त
    उन चन्द पलों में
    जी ली उसनें सारी जिंदगी।---------------क्या बात है!
    लाजवाब कविता।

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  3. बहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी

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  4. ये वक्त ही थम जाए काश ... बारिश यूँ ही आती रहे ... एहसास यूँ ही जागते रहें ...
    बेमिसाल ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर जी

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  5. बहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी

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  6. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है… खुशनुमा एहसास सावन की फुहारों की तरह...बहुत-बहुत बधाई

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका हिमकर जी

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  7. दिल में बंद यादों की पहेली
    वो है उसकी सबसे अच्छी सहेली

    कितना कुछ कह दिया दो पंक्तियों ने
    यादें साथ है दोस्त की तरह

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका शिवराज जी

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  8. सावन की बूँदें जब
    टिप -टिप हथेली पर गिरती हैं
    एक -एक यादों की पहेली
    धीमें- धीमें खुलती है
    बहुत ही अच्छी लगी आपकी कविता !

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  9. बहुत बहुत शुक्रिया आप का संजय जी |

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  10. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 14 जुलाई 2016 को में शामिल किया गया है।
    http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !

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  11. न वक्त थमता है न बारिश ..बस कुछ यादें जिंदगी भर के लिए जेहन में कैद होकर रह जाती हैं ...
    बहुत सुन्दर

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  12. bahut bahut shukriya aapka kavita ji

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