टिप -टिप हथेली पर गिरती हैं
एक -एक यादों की पहेली
धीमें- धीमें खुलती है
दिल में बंद यादों की पहेली
वो है उसकी सबसे अच्छी सहेली
खुलती है जब खिलखिलाति है तब
बीते सुनहरे पलों में वो उसे ले जाती है
जहाँ थी भीगी चुनरी
झूले की पीगें
धूएँ की सौंधी खुशबू
गर्म चाय के प्यालों में घुलती थी
वो नज़रों का कहीं थम जाना
कुछ पल ठहरना
ठहर कर वापस आ जाना
वापस आते आते
हज़ारों पलों की सौगातें समेट लाना
बादलों के बीच बिजली का शोर
अचानक से हाथ थामने को
कर देती मजबूर
वो तेज़ आवाज़ जब थमती
चेहरे पर मोती बिखेर जाती
बारिश न थमे
सिर्फ थमे तो यह वक़्त
उन चंद पलों में
जी ली उसने सारी ज़िन्दगी
बारिश न थमे
ReplyDeleteसिर्फ थमें तो यह वक्त
उन चन्द पलों में
जी ली उसनें सारी जिंदगी।---------------क्या बात है!
लाजवाब कविता।
बारिश न थमे
ReplyDeleteसिर्फ थमें तो यह वक्त
उन चन्द पलों में
जी ली उसनें सारी जिंदगी।---------------क्या बात है!
लाजवाब कविता।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी
ReplyDeleteये वक्त ही थम जाए काश ... बारिश यूँ ही आती रहे ... एहसास यूँ ही जागते रहें ...
ReplyDeleteबेमिसाल ...
बहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर जी
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है… खुशनुमा एहसास सावन की फुहारों की तरह...बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका हिमकर जी
Deleteदिल में बंद यादों की पहेली
ReplyDeleteवो है उसकी सबसे अच्छी सहेली
कितना कुछ कह दिया दो पंक्तियों ने
यादें साथ है दोस्त की तरह
बहुत बहुत शुक्रिया आपका शिवराज जी
Deleteसावन की बूँदें जब
ReplyDeleteटिप -टिप हथेली पर गिरती हैं
एक -एक यादों की पहेली
धीमें- धीमें खुलती है
बहुत ही अच्छी लगी आपकी कविता !
बहुत बहुत शुक्रिया आप का संजय जी |
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 14 जुलाई 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !
न वक्त थमता है न बारिश ..बस कुछ यादें जिंदगी भर के लिए जेहन में कैद होकर रह जाती हैं ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
bahut bahut shukriya aapka kavita ji
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