Sunday, 13 February 2022

जाड़े की रातें, किस्मत की बातें


 जाड़ों की सर्द रातें 

कॉफी के मग 

फायर प्लेस की लपटें 

महंगे कंबलों की गर्माइश 

कल के भविष्य की चिंता में 

नींद की तरसती आँखों 

का ख्वाब 

काश एक नींद का 

टुकड़ा मिल जाता 

एक सर्द रात में 

जीवन के दो बिखरे हुए हालात 

पटरी पर सोती 

पतले कम्बलों में 

ठिठुरती ज़िन्दगी 

बिछावन की जगह आज का अखबार 

जिसकी हैडलाइन है,

"आज वर्ष का सबसे ठंडा दिन है"

आधे फटे कम्बल में 

चिपटा हुआ 

गली का आवारा कुत्ता 

ठंडी और राख हो चुकी 

खोखे वाली लकड़ी की आग 

दिन भर की मज़दूरी के बीच 

नींद बहुत गहरी है 

आज में जीता 

आज पेट भरा है 

कल मेरा वजूद 

ज़िंदा है या मरा 

किसी को शायद 

फर्क नहीं पड़ेगा 

पर नींद के ख्यालों में 

एक ख्वाब है कहीं 

काश एक और

कम्बल का टुकड़ा मिल जाता 

ये जाड़े की रातें 

बड़ी अजीब हैं ये 

किस्मत की बातें 



38 comments:

  1. मर्म को स्पर्श कर गई यह अभिव्यक्ति - एक सच्चाई जो आँखें मूंद लेने से बदल नहीं सकती।

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    1. आदरणीय सर बहुत बहुत आभार आपका,

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-2-22) को पाश्चात्य प्रेमदिवस का रंग" (चर्चा अंक 4342)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. आदरणीया आपका तहेदिल से शुक्रिया मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर ।

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  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 15 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका मेरी रचना को पाँच लिंकों का आनंद में स्थान देने पर

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  4. जिसको मिलता है उसको कद्र नहीं, नींद नहीं और जिसके पास नहीं वह तरसता है छोटी-छोटी ख्वाइशें के लिए। बड़ी विडंबना है।
    मर्मस्पर्शी रचना

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

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  5. मार्मिक रचना, क़िस्मत की ही बात कही जाएगी, कहीं तो पालतू पशुओं के लिए भी आरामदायक बिस्तर हाज़िर हैं और कहीं इंसान खुले में सोने पर मजबूर हैं

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  6. बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन।

    नींद की तरसती आँखों

    का ख्वाब

    काश एक नींद का

    टुकड़ा मिल जाता

    एक सर्द रात में... वाह!👌

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

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  7. बहुत ही गहरे दर्द को व्यक्त करती अत्यंत मार्मिक वह ह्रदय स्पर्शी रचना!
    कितना अजीब है
    किसी की आंखों में नींद है पर सोने के लिए बिस्तर नहीं और किसी के सोने के लिए बिस्तर है पर आंखों में नींद नहीं!

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    1. प्रिय मनीषा तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

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  8. ऐसी विडंबना के लिए क्या कहा जाए? मार्मिक सृजन।

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

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    1. आदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका,।

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  10. यथार्थ को कहती मर्मस्पर्शी रचना ।
    संवेदनशील रचना ।
    कुछ कुछ ऐसा ही मैंने भी कभी लिखा था । अब ढूँढना पड़ेगा । मिल गया तो लिंक भेजूंगी ।

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका.आप जरूर लिंक भेजिएगा, इन पंक्तियों का खयाल तब आया जब मैं बेटी को रेलवे स्टेशन छोडने गयी थी,वहीं मजदूरों को ठंड में सोते देखा और मेरी कविता को शब्द मिल गए...

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  11. मर्म को छू के गुज़रती है रचना ...
    मार्मिक ...

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  12. आदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका🙏

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    1. आदरणीय सर बहुत बहुत आभार.

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  14. यथार्थ का सटीक मार्मिक चित्रण ।

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आदरणीया

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  15. बहुत अच्छी कविता।हार्दिक शुभकामनाएं।सादर अभिवादन

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  16. आदरणीय सर बहुत बहुत आभार आपका

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  17. समकालीन परिद्रश्य पर लिखी
    यथार्थवादी रचना
    बधाई

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  18. आदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

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  19. समाज की विषमताओं को इंगित कर हृदय को द्रवित करती मर्मस्पर्शी रचना ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीया

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  20. बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया ,

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  21. दिल छु जाने वाला सृजन

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय सर,

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  22. खूबसूरत भावों से सजी सुन्दर कविता। अति सुन्दर।

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  23. बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय संजय जी

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