इतने आगे निकल तो गए हो
पर कम से कम पल दो पल तो रुको
रुख कर चलने के बीच
इतना वक्त तो हो मेरे मीत
इंतज़ार जो तुमने किया हो मेरे लिए
उसका मुझे अहसास तो हो
मेरे प्यार में इतना हो दम
मेरे इंतज़ार में थम जाए तुम्हारे कदम
तुम्हारी आगे बढ़ने की चाह
बदल देगी हमारी राह
बहुत ऊँचाई तक तुम पहुंच गए हो
अगर तुम मुझे हाथ बढ़ा कर थामते
मैं भी उन उचांइयो को महसूस करती
अब खत्म सी हो रही है कदमों की समानता
हाथ की ठंडक से पता चल रही है
रिश्तों की गर्माहट
सुनहरे सपनों में उलझ कर बहुत दूर निकल गए
बीच में वक्त के थफेड़ों ने
मिटादी पुरानी यादों की कहानी
आख़रि पड़ाओं पर
हमारी मुलाकात वास्तविक नहीं थी
बातों और मुलाक़ातों से ही समझा
की आगे यात्रा
मिटा देगी मेरा अस्तित्व, क्योंकि?
अब तुम मुखौटों के शहर में
जो आ गए हो
जहां कदम कभी थकते नहीं
एक दूसरे का पीछे छोड़ने की चाह में
सांस लेने को भी लोग रुकते नहीं
सुन्दर भावों से सजी कविता।बहुत खूब।
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामना।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी । मेरी रचना को पढने और सराहने का । आप को भी नव वर्ष की शुभ कामनाए ।
Deleteसुन्दर भावों से सजी कविता।बहुत खूब।
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामना।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी.
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने का ।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुती, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेंद्र कुमार जी.
Deleteआपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएं.
Deleteसुन्दर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत बहुत शुक्रिया आपका कविता जी. आपको भी सपरिवार नववर्ष की शुभकामनाएं.
Deleteअगर तुम मुझे हाथ बढ़ा कर थामते
ReplyDeleteमैं भी उन उचांइयो को महसूस करती
अब खत्म सी हो रही है कदमों की समानता
हाथ की ठंडक से पता चल रही है
रिश्तों की गर्माहट
सुनहरे सपनों में उलझ कर बहुत दूर निकल गए
बीच में वक्त के थफेड़ों ने
मिटादी पुरानी यादों की कहानी
behtreen prastuti ... nav varsh ki ashesh shubhkamnaye :)
बहुत बहुत शुक्रिया आपका सुनिता जी आपको नववर्ष की शुभकामनाएं.
Deleteब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को नव वर्ष के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं|
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सभी को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरी रचना को ब्लाग बुलेटिन में स्थान देने का. ़
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी.
Deleteजहां कदम कभी थकते नहीं
ReplyDeleteएक दूसरे का पीछे छोड़ने की चाह में
सांस लेने को भी लोग रुकते नहीं
...आज का कटु सत्य...आगे बढ़ने की दौड़ में हम कितना कुछ पीछे छोड़ देते हैं...दिल को छूते बहुत ख़ूबसूरत अहसास और उनकी ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति ...
बहुत बहुत शुक्रिया आपका कैलाश शर्मा जी.
Deleteबहुत ख़ूब। नव वर्ष की शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका हिमकर जी. आपको भी सपरिवार नववर्ष की शुभकामनाएं.
Deleteभागम भाग में अक्सर ऐसा होता है ... पर रफ़्तार कहाँ प्रेम को समझ पाती है ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर सर जी ।
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