पता नही क्यों ?
तू आती है मिल्ती है और
प्यार भी बहुत करती है
तुझे मेरी फिक्र भी है
पर मुझे तेरा इतंज़ार है
कल कोइ मुझसे पूछ रहा था
अरे पागल कैसा तेरा ये इतंज़ार है
मैं तुम्हें नहीं बता सकती
बात बरसों पुरानी है
वो मेरा नन्हा सा मन
सालों बाद भी; मेरे अंदर
छुप कर बैठा है
और सवाल करता है
अपने आप से बार-बार
वो सवाल आँखों में
छुप गया है आँसू बना
होठों पर आते-आते रुक गया है
कुछ मन में फाँस बन चुभ गया है
तूने मुझे अपने से अलग कर कहा था
मैं यहाँ खुश रहूंगी
और तू मुझसे मिलने
आया करेगी कभी-कभी
वो कभी-कभी शब्द
मेरे मन से कभी नहीं निकला
वो तेरा कहना आया करूँगी
मेरे लिए इतंज़ार शब्द बन गया
और वो बचपन का इतंज़ार
मेरे अदंर डर बना कर ऐसे छुप गया कि
वो कभी ख़ुली हवा में निकला ही नहीं
और वो इंतज़ार शब्द
अपाहिज हो गया
अब वो चल नहीं सकता है
इसलिए मेरे अंदर से निकल नहीं पाता है ।
चित्र गूगल के माध्यम से
बेहद खूबसूरत रचना।बहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का सर जी ।
Deleteवो मेरा नन्हा सा मन सालों बाद भी मेरे अंदर छुप कर बैठा है...
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण रचना जो दिल को छू गई
बहुत बहुत शुक्रिया आप मालती जी
Deleteवो मेरा नन्हा सा मन सालों बाद भी मेरे अंदर छुप कर बैठा है...
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण रचना जो दिल को छू गई
बहुत बहुत शुक्रिया आप का मनोज जी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का मालती जी ।
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका धीरज कुमार जी.
Deleteइंतज़ार सब्र का इम्तिहान है ..
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना
बहुत बहुत शुक्रिया आपका कविता जी.
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का कविता जी ।
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने का
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका नीरज जी. ़
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी ।
Deleteमैं यहाँ खुश रहूंगी
ReplyDeleteऔर तू मुझसे मिलने
आया करेगी कभी-कभी
वो कभी-कभी शब्द
..बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ....मेरा ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए शुक़्रिया..
बहुत बहुत शुक्रिया आपका संजय जी.
Deleteसुंदर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका हिमकर जी.
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका हिमकर जी.
Deleteमर्मस्पर्शी रचना...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ज्योति जी.
Deleteबेहद भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका प्रसन्न बदन चतुर्वेदी जी.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 14 जनवरी 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !
बहुत बहुत शुक्रिया आपका संजय जी मेरी रचना को स्थान देने पर.
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