Thursday, 10 September 2015

यादों का बहाना



तेरी यादों को मैं झूठे बहाने बना कर 
कहीं छोड़ आइ थी 
पर वो दबे पाँव वापस लौट आइं थी 
उसने मुझे बहाना ये बताया
की मेरे ज़हन से अच्छा आशियाना न पाया
कलाइ पर जो लिखा था तेरा नाम
उस पर जब पड़ती है किसी की प्रश्न भरीं नज़र 
लोगो को बातें बनाने के लिए मिलती होगी नई ख़बर 
पत्थर से घिसने पर भी नहीं छूटता वो लहू में मिला रंग 
तू ने पल-पल मरने की सजा दे दी 
उस पर किसी फ़कीर ने मुझे 
लम्बी हो जिंदगी ये दुआ दे दी 
सब कुछ छोड़ कर तूने लम्बे सफ़र की तैयारी कर ली 
और मुझे आँसुओं को न आने की ताकीद कर दी 
अब तो हर लम्हा तेरी याद साथ है 
शायद वो हाथ की लकीर बन गई है 
ज़िंदगी जो क़बूल नही हुइ
वो दुआ बना गई है

26 comments:

  1. भावपूर्ण और अनुभूतियों से सराबोर पंक्तियाँ।

    ReplyDelete
  2. भावपूर्ण और अनुभूतियों से सराबोर पंक्तियाँ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका मेरी रचना को पढने और सराहने के लिए । आप की टिप्पणी मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।

      Delete
  3. पत्थर से घिसने पर भी नहीं छूटता वो लहू में मिला रंग ....मन में उतरने वाली पंक्‍ति‍यां।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका रश्मि जी ।

      Delete
  4. बहुत बहुत आभार आपका मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन में स्थान देने का ।

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना.
    नई पोस्ट : दिन कितने हैं बीत गए

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका राजीव कुमार जी.

      Delete
  6. अपने जो दिल में घर कर चुके होते हैं उनका साथ जिंदगी भर का होता है

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका कविता जी.

      Delete
  7. ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका हिमकर जी.

      Delete
  8. उत्कृष्ट प्रस्तुति

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी.

      Delete
  9. यादों की छोड़ आना आसान कहाँ ... लौट आती हैं हमेशा ... साँसों से रिशत हो जाता है उनका ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर जी. आप जैसे बड़े लेखक की प्रेरणा जब मिलती तब मुझे लगता है कि मेरी कविता ने एक कदम और चलना सीख लिया है.

      Delete
  10. दिल को छूते गहन अहसास...बहुत ख़ूबसूरत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

    ReplyDelete
  11. बहुत बहुत शुक्रिया आपका कैलाश शर्मा जी.

    ReplyDelete
  12. आपको सपरिवार श्री गणेश जन्मोत्सव की हार्दिक मंगलकामनाएं!

    ReplyDelete
  13. शुक्रिया कविता जी ।

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर अभिव्‍यक्ति और सुंदर भावों सजी हुई रचना। मेरे ब्‍लाग पर आपका स्‍वागत है। http://www.kanafusi.com

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका जमशेद आज़मी जी.

      Delete
  15. मधूलिका जी ! आपने इतना अच्छा लिखा है पर आश्चर्य है आपने मेरे मन के भाव कैसे पढ लिए , हम तो पहली बार ब्लॉग के माध्यम से ही मिल रहे हैं न !
    प्रशंसनीय - प्रस्तुति । भाव - प्रवण - अभिव्यक्ति । बधाई ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका शकुंतला जी.

      Delete
  16. यादों के आँगन में बैठकर हम अपनी ही यादों की जड़ों में पानी सींचते रहतें हैं ---
    मन को छूती भावपूर्ण रचना ---
    बधाई ----

    आग्रह है-- मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों ---
    http://jyoti-khare.blogspot.in/2015/09/blog-post_23.html

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका ज्योति खरे जी

      Delete