Tuesday, 19 July 2022

मिट्टी बन्ने में वक़्त लगेगा



मिट्टी में मिलने के बाद

ये काया धीरे-धीरे

मिट्टी हो जाया करती है।

उसे कोई चाह कर भी 

नहीं रोक पाता

पर मिट्टी में मिलने के बाद

जो हम में बसता रहता है।

सालों साल वो अहंकार

पर्वत सा

वो प्रतिस्पर्धा ज्वाला सी 

वो नफ़रत पत्थरों सी

वो जिजीविषा सौ बरस जीने की

वो माया जाल ना टूटने वाले

ताने बाने का 

इन बीहड़ों में उलझी हुई आत्मा

इन सारे मिट्टी के टीलों को

जिन्होंने बहुत पहले मिट्टी

हो जाना चाहिए था।

ये आत्मा के साथ

आत्मसात् हो जाते हैं।

ना होते तो फिर 

इनके जीवित

रहने से 

मिट्टी को भी 

मिट्टी बन्ने में 

वक्त लगेगा।

16 comments:

  1. सही कहा आपने पंचभूत तत्वों में मिल कर यह काया और इससे जुड़े गुण अवगुण सब मिट्टी में मिल जाने हैं ।गहन सृजन ।

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

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  2. सरल सहज शब्दों में गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना.....

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    1. आदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

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  3. गहन्तम भाव समेटे सुंदर रचना ।

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

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  4. आत्मा से विलग कहाँ है मानवीय गुण या अवगुण।
    तन माटी भले ही हो जाये पर आत्मा के अमरत्व के गान में मुक्ति की प्रार्थना होती है।
    गूढ़ भाव उकेरे हैं आपने।
    सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर।

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका

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  5. बहुत सुंदर रचना

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका

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  6. आदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका

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  7. अति उत्तम

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    1. आदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका

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