मुझे मेपल ट्री की पत्तियाँ बहुत ख़ूबसूरत लगती हैं।
कल मेरी बेटी ने विदेश से लौटते वक्त
मुझसे पूछा..माँ आपके लिए क्या लाऊँ तौहफ़ें में
मैंने कहा बस दो चार
मेपल ट्री की पत्तियाँ ले आना
चाहे सूखी ही क्यों न हो।
ये ज़िंदगी की हकीकत का आईना हैं।
सूखी पत्तियाँ अच्छी लगती हैं।
सच जीवन का आपके सामने परोस देती हैं।
एक वक्त के बाद वो दरख़्त
को अलविदा कह देती हैं।
या शायद दरख़्त उसे
अहसास कराती हैं..ये
कोमल पत्तियाँ जीवन की परिपक्वता की तरह
फिर पीली हो चुकी पत्तियाँ
जीवन की पूर्णता को दर्शाती हुई।
टूट कर बिखरने के कगार पे
मानव जीवन की तरह
रूह को जिस्म से जुड़े रहने तक
और फिर टूट कर बिखर गयी
वजूद के खोने तक
इस जहान में खो गयी
जैसे जिस्म रूह से जुदा होकर
खाक होकर उड़ गया
कायनात में कहीं
शाख से जुदा हुए पत्ते की तरह
कहाँ से कहाँ तक का सफ़र
फिर कहाँ जन्म लेना है कुछ नहीं खबर।
सूखे पत्ते की तरह चूर चूर हो जाता
हमारा घमंड, ईर्ष्या, घृणा, द्वेष
अपना वजूद खो कर
हवा में घुल जाना
रूह की तरह ...
Jivan ke satya ❤️
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया ।
Deleteसुखी पत्ती और जीवन , सुंदर तादात्म्य के साथ सुंदर प्रस्तुति । बधाइयां आदरणीय ।
ReplyDeleteआदरणीय सर बहुत बहुत आभार आपका
Deleteआदरणीया बहुत बहुत आभार आपका मेरी रचना को पाँच लिंको का आनंद में स्थान देने पर ।
ReplyDeleteपत्ती के माध्यम से जीवन की सत्यता का चिंतन।
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Deleteआदरणीया बहुत बहुत आभार आपका,
Deleteजीवन दर्शन को उद्घाटित करती सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआदरणीया बहुत बहुत आभार आपका
Deleteशाश्वत सत्य कहती सुन्दर रचना
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Deleteआदरणीया बहुत बहुत आभार आपका
Deleteबहुत अच्छी बात कही है मधूलिका जी आपने लेकिन इसका मर्म कितने लोग समझते हैं (या समझने की कोशिश भी करते हैं) ?
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Deleteआदरणीय सर बहुत बहुत आभार आपका,
Deleteबहुत ही उम्दा भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मनोज जी
Deleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय
ReplyDeleteमैपल ट्री की पत्तियाँ वाकई जीवन सा उतार चढाव ...
ReplyDeleteसूखे पत्ते सा जीवन
बहुत सुन्दर चिंतनपरक सृजन
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया
ReplyDeleteबहुत ही दार्शनिक कविता |हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आप का आदरणीय
ReplyDeleteजीवन की सत्यता का चिंतन....... मधूलिका जी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय
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