Tuesday 17 May 2022

माँ तुम यहीं हो

पवित्र नदीजिसे हम 
माँ नर्मदा कहते हैं
अक्सर जाती हूँ 
और सीढ़ी पर बैठ कर 
घंटो ख़ामोशी से बहती 
नदी को देखती रहती हूँ
मैं कई दिनोंमहीनोंसालों से 
कुछ तलाश रही थी 
घाट की सीढियाँ उतरती हैं 
गहरे पानी में 
आखरी सीढ़ी से टकराते पानी की 
आवाज़ मुझे खींच रही थी 
उस आवाज़ का अनुसरण कर 
वहां जाती हूँ 


उस आखरी सीढ़ी पर 
बैठ कर टकराते पानी की 
आवाज़ सुनती हूँ समझती हूँ 
मेरी तलाश को एक 
मुकाम हासिल होता है 
उस टकराते पानी को 
ध्यान से सुनती हूँ 
उस आवाज़ में मुझे 
अहसास होता है की 
माँ तुम यहीं हो 
माँ नर्मदा ने 
मुझे मेरी माँ से मिला दिया 
अब माँ के जाने के बाद 
जब भी मन करता है 
उनसे मिलने का 
आखिरी सीढ़ी के टकराते पानी से 
बातें कर लेती हूँ 
एक माँ ने मुझे मेरी माँ लौटा दी

39 comments:

  1. वाह !!! मन की भावनाएँ कैसे और कहाँ पहुँच जाती हैं। नर्मदा नदी में माँ की छवि को महसूस करना , बहुत संवेदनशील अभिव्यक्ति ।।

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका.

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.5.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4435 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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    1. आदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने पर.

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  3. Replies
    1. आदरणीय तहेदिल से शुक्रिया आपका.

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  4. आखिरी सीढ़ी के टकराते पानी से
    बातें कर लेती हूँ
    एक माँ ने मुझे मेरी माँ लौटा दी.... अत्यंत मार्मिक और रूहानी अहसास!!!

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    1. आदरणीय तहेदिल से शुक्रिया आपका.

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  5. दिल को छूती सुंदर रचना।

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका.

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  6. माँ का सुखद अहसास माँ ही कराती हैं
    मर्मस्पर्शी प्रस्तुति

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका.

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  7. मन को छूती बहुत सुंदर रचना

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    1. आदरणीय तहेदिल से शुक्रिया आपका.

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  8. बहुत खूबसूरत भावपूर्ण रचना

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका.

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  9. हृदय स्पर्शी सृजन।

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका.

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  10. हृदय स्पर्शी रचना, गहन अहसास समेटे।

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    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका

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  11. आदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका मेरी रचना को पांच लिंकों का आनंद में स्थान देने पर.

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  12. बहुत ही सुंदर... खूबसूरत 💕

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका,

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  13. भावनाओं का शब्दों से गहरा रिश्ता होता है
    एक - एक शब्द भावनाओं से ओतपोत ।

    सुन्दर अति सुन्दर !

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय ।

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  14. बहुत अच्छी कविता. हार्दिक शुभकामनायें

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    1. आदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

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  15. मन को छूती सुंदर रचना।

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  16. कितना कुछ है इन लफ़्ज़ों में …खूबसूरत

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय ।

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  17. हृदय को स्पर्श करती बेहद प्यारी रचना 🙏

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया

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  18. हृदय-स्पर्शी रचना

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  19. माँ से माँ के मिलन की कामना ...
    एक लाजवाब भावपूर्ण गीत सृजित कर गया ...

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  20. वाह , नर्मदा के साथ माँ का साम्य ..नदी माँ जैसी होती है और माँ नदी जैसी ..बहुत सुन्दर कविता मधूलिका जी . आपने कहानी पढ़ी ,अच्छी लगी ..ब्लाग पर आने का बहुत धन्यवाद .क्योंकि इसी लिये मैं आपकी सुनदर रचना पढ़ सकी .

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    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया

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