Friday, 15 September 2017

हिम्मत का आधा टुकड़ा


सोचना समझना और चलना उन रास्तों पर 
पर फिर कभी न निकल पाना उन बंधनो से 
जो वक़्त के साथ बंधते और कस्ते जाते हैं |
एक अजगर की पकड़ की तरह 
जहाँ दम घुटने के अलावा कुछ नहीं है 
जो दिन रात आपका सुख चैन निगल रहा है 
और धीरे - धीरे आपको भी |
पर ज़िन्दगी अगर हार कर भी हारती नहीं 
निकल भागने का मौका तलाशती वो टूटी हुई हिम्मत 
वो दल दल में धस्ता जीवन 
पर कहीं अब भी खुला आकाश 
और उम्मीद का एक तारा
और थोड़ी सी रौशनी 
टूटी नाव को शायद अब मिल रहा है किनारा | 
तूफान तो थमा है ज़िन्दगी का 
पर सब अस्त व्यस्त उजड़ा और अधूरा - अधूरा सा 
तुम मेरी हिम्मत का आधा टुकड़ा संभाल कर रखना 
जब तक मैं उस बाकी आधे टुकड़े को ढूंढ  न लाऊं |

26 comments:

  1. सुन्दर रचना

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का ओंकार जी।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-09-2017) को
    "चलना कभी न वक्र" (चर्चा अंक 2730)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. तहेदिल से शुक्रिया सर मेरी रचना को चर्चा मंच मे स्थान देने पर।

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  3. बहुत ख़ूब ... हिम्मत जितनी भी है उसे पूरा लगा कर प्रयास करना हाई ज़िन्दगी है ... बहुत हाई भावपूर्ण रचना ...

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सर मेरी ब्लॉग पर आने पर।

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 सितंबर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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    1. बहुत बहुत आभार आप का ।मेरी रचना को पांच लिंको का आनंद मैं स्थान देने पर।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का शिवानी जी।

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  6. हिम्मत के बिना कोई भी कार्य संभव नहीं है। बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का ज्योति जी।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का सुधा जी।

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  8. वाह ! बहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्तुति हुई है आदरणीया ! बहुत खूब । लम्बे समय के बाद ! आप की रचना पढ़ने को मिली है ! बहुत खूब ।

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    1. तहे दिल से शुक्रिया सर मेरी ब्लॉग पर आने का ।

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  9. तुम मेरी हिम्मत का आधा टुकड़ा संभाल कर रखना
    जब तक मैं उस बाकी आधे टुकड़े को ढूंढ न लाऊं |

    बेहतरीन रचना। ख़ूबसूरत कलमकारी है आपकी।

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  10. तुम मेरी हिम्मत का आधा टुकड़ा संभाल कर रखना
    जब तक मैं उस बाकी आधे टुकड़े को ढूंढ न लाऊं |

    बेहतरीन रचना। ख़ूबसूरत कलमकारी है आपकी।

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    1. दिल से शुक्रिया सर मेरी ब्लॉग पर आने का।

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  11. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया जी।

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  12. क्या खूबसूरत अंदाज़ है मन को उभरानेवाली एक दिलकश रचना
    बहुत व्यस्त था ! बहुत मिस किया ब्लोगिंग को ! बहुत जल्द सक्रिय हो जाऊंगा !

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया संजय जी |

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  13. बहुत सुन्दर
    आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!

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    1. तहे दिल से शुक्रिया कविता जी |छमा चाहती हूँ बहुत देर से आपको शुक्रिया लिख रही हूँ |

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