Thursday, 3 August 2017

क्यों बेकार में खामखा की ज़िद


कई दिनों से खामखा की ज़िद 
वह श्रृंगार अधूरा सा क्यों है 
अब क्या और किस बात की जिरह 
मेरे पास नहीं है वो ज़ेवर 
जो तुम्हे वर्षों पहले चाहिए थे
वह सब मैंने ज़मीं में दफ़न कर दिया है 
हालात बदल गए हैं 
तुम उस ख़ज़ाने को ढूंढना चाहते हो 
और चाहते हो की उस
एक एक आभूषण को 
मैं धारण कर लूँ 
वो ख़ज़ाने का सामान 
वो कहकहे वो इंतज़ार 
वो आँखों की चमक 
वो गालों का दहक उठना 
वो बातों की खनक 
सब तुम्हारी आखरी मुलाक़ात के बाद 
वहीं दफ़न कर दिया था 
क्योंकि मुझे उन गहनों की
आदत नहीं रही 
वो श्रृंगार अब नहीं कर सकती 
क्यों बेकार में खामखा की ज़िद 

21 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (05-08-2017) को "लड़ाई अभिमान की" (चर्चा अंक 2687) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. तहे दिल से शुक्रिया सर मेरी रचना को चर्चा अंक मे स्थान देने पर।

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  2. गुज़रे हुए वक़्त की चाह है किसी को होती है ... कई बार उम्र का एहसास उस वक़्त को आने नहीं देता पर दिल में अगर वो एहसास रहे तो उम्र भी पीछे रह जाती है ... कई बार मन एकाकी हो जाता है पास एहसास जरूरी ही ....

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    1. दिल से शुक्रिया सर मेरी ब्लॉग पर आने का ।

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  3. किसी तरह चैन नहीं बस अपनी बात मनवाने की ज़िद होती है

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    1. बहुत बहुत आभार संगीता जी।

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    1. बहुत बहुत आभार सर।

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  5. आपकी लिखी रचना  "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 9 अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. तहेदिल से शुक्रिया पम्मी जी ।

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  6. बहुत ही सुंदर....

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ।

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  7. अंतस की वेदना की अप्रितम अभिव्यक्ति --------

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का।

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  8. सुंदर अभिव्यक्ति ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का ।

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  9. सटीक व सुंदर अभिव्यक्ति !

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का ।

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    2. बहुत बहुत शुक्रिया आप का ।

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  10. मन में उमंग नहीं तो कोई भी आभूषण फीका होता है
    बहुत अच्छे मनोभाव

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  11. तहे दिल से शुकि्या कविता जी ।

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