वो चेहरा जो रोज़ नज़र में था
आज दिल में समाया है
ढलती सेहत ने
तुम्हारी नींद कहीं छुपा दी थी
तुम्हें खोकर आज
सारा घर जाग रहा
तुम्हारी नींद बहुत लंबी है
शांत शरीर में बीमारी की थकान नहीं
चिंताओं की माथे पर
कोई शिकन नहीं
वो जिजीविषा शब्द
तुम्हारे रोम रोम से
फूटता था
ईश्वर की मर्ज़ी या तेरे जाने का बहाना
हर बंधन तूने तोड़ दिया
अब तुझे नहीं है वापस आना
अल्मारी में रखी तेरी साड़ी
उसकी तह उस दिन के बाद से
मैंने नहीं खोली है
कि कहीं उड़ न जाए
वो तेरे अहसास की खुशबू
जो मुझे भ्रमित करती है
कि तू कहीं मेरे
आस पास ही है
बहुत मन को छूती हुयी बातें ... माँ हमेशा करीब रहती है ... चाहे यादें बन कर रहे ... दिलासा देती है उसकी हर बात ... हर शै ...
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया दिग्बर नासवा जी |
DeleteVery touching aunty :)
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया बेटा :)
Deleteसुंदर भाव-अभिव्यक्ति।लाजवाब प्रस्तुति।
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया राकेश कुमार जी |
Deleteप्रशंसनीय
ReplyDeleteबहुत बहुत आभारआपका राकेशजी
Deleteअवसर कोई भी हो माँ सबसे पहले याद आती हैं
ReplyDeleteबहुत अच्छी हृदयस्पर्शी रचना
दिल से आभार आपका कविता जी । बस माँ के जाने के बाद कुछ शब्द उनके लिए लिखे थे ।
Deleteमन को छूनेवाली कविता
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ओंकार जी ।
Deleteबहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति।
ReplyDeleteदिल से आभार आपका।
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