~ 1 ~
बड़ा अजीब है जनाब ये तेरा शहर
आँखों में बड़े बड़े ख़्वाब लिए सारी रात
बेचैनी से यहाँ से वहाँ
भागता ही रहता है
तभी तो ये रात भर
जागता रहता है
सागर तेरा शहर सोता क्यों नहीं ।
~ 2 ~
जब भी कभी नया दोस्त मैं
बनाता हूँ, पता नहीं क्यों
मेरे पीठ के पीछे के
ख़ंजरों में इज़ाफ़ा क्यों हो जाता है ।
~ 3 ~
समंदर से सीखा है मैंने
जिसके पास
अश्क़ो का सैलाब होता है
वो रोया नहीं करते ।
~ 4 ~
उसने कहा एक ख़्वाब
की तरह मेरी यादों को भुला चुका हूँ
मैंने उन ख़्यालों को
ज़िम्मेदारियों के फ़्रेम में
संभाल कर रखा है ।
ज़िम्मेदारियों के फ़्रेम में
ReplyDeleteसंभाल कर रखा है ।
बेहतरीन
सादर
आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका ।
Deleteजिनके पास अश्कों का सैलाब हो वे रोया नहीं करते वाह वाह कितनी सच्ची और मार्मिक बात..सभी क्षणिकाएँ बहुत खूबसूरत हैं।
ReplyDeleteआदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका
Deleteदिल से निकली बातें दिल तक पहुँच रही हैं।
ReplyDeleteभावपूर्ण क्षणिकाएँ।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २० फरवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आदरणीय श्वेता जी तहेदिल से शुक्रिया आपका आपने मेरी रचना को सराहा और पाँच लिंकों का आंनद में स्थान दिया 🙏
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय तहेदिल से शुक्रिया आपका ।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआदरणीय तहेदिल से शुक्रिया आपका ।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteक्या बात...
दिल से निकली हर दिल की जानी परखी
लाजवाब।
आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका ।
Deleteदिल से निकली बातें दिल तक पहुँचती हुईं..,लाजवाब सृजन ।
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Deleteआदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका ।
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteआदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका
Deleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएँ. बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteआदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका ।
DeleteBahut hi sundar
ReplyDeleteआदरणीय तहेदिल से शुक्रिया आपका ।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना शैली। बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका
Deleteसीधी-सच्ची बातें कहती हैं मधूलिका जी आप, बिना किसी लागलपेट के। बस इसीलिए वे दिल को छू जाती हैं।
ReplyDeleteआदरणीय सर तहेदिल से शुक्रिया आपका ।
Deleteबहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय सर
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