Monday 21 March 2016

तेरी तलाश


एक अरसे से
मेरी तलाश जारी है
पर यादों की किरचें जो
मेरी राहों पर पड़ी है
उनकी चुभन मुझे शिकस्त दिये जा रही हैं
कल तेरी तलाश में मैं
पुराने शहर का चक्कर लगा आया
तलाश मुक्कमल तो नहीं हुई
पर वो पुराने शहर को मैं
सालों बाद भी नहीं भुला पाया
पुराना पता हाथ में था लिया
हस रहा था हर शक्स मुझ पर
कह रहे थे लोग कई
ये कौन है बंजारा
फिर रहा है मारा-मारा
इसे कोई समझाओ
शहर लोग पते सब बदले
पर मैंने तेरे इन्तेज़ार में
पत्थरों पर थे जो निशान उकेरे
उनमे नहीं हुई कोई तब्दीली
उस जगह पर अब इक फकीर
रोज शाम को चिराग रौशन करता है
उस पत्थर पर ज़मी धूल के नीचे
कुछ यादें दफन हैं
उस धूल को समेट कर
आखरी इन्तेजार के साथ
तलाशता रहा तुम्हें

कुछ वक्त वहां ठहर के 

15 comments:

  1. मन को छू लेने वाली भावपूर्ण रचना। अति सुन्दर।

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  2. बहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी.

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (23-03-2016) को "होली आयी है" (चर्चा अंक - 2290) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    रंगों के महापर्व होली की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बहुत बहुत शुक्रिया आप का शास्त्री जी सर .मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने का .

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  5. दिल को छू गई आपकी यह भावपूर्ण कविता। मेरे ब्लाग पर आने के लिए आपका बहुत बहुत आभार। आपकी नई रचनाओं की प्रतीक्षा में।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरी रचना को पढ़ने और सराहने का . जी उम्मीद है आपको मेरी नई रचना पसंद आएगी.

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  6. बहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी.

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  7. दिल को छू गई आपकी यह भावपूर्ण कविता। मेरे ब्लाग पर आने के लिए आपका बहुत बहुत आभार। आपकी नई रचनाओं की प्रतीक्षा में।

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  8. सुंदर भावाभिव्यक्ति

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका हिमकर जी ।

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  9. मन को छूते हुए भाव हैं इस रचना के ... यादों की किरचें घाव ताज़ा रखती हैं दिल के ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आप का दिगम्बर नसवा सर जी ।

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  10. मधुलिका जी आपके हर लेख मे आपका अनुभव साफ झलकता है । आपके लेख दिल को छूते हैं ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ।

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    2. बहुत बहुत आभार आपका ।

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