तब से मैने ख़ुली ही रख़ी है
क्योंकि उसके ठीक सामने
चाँद आकर रुकता है
एक छोटे तारे के साथ
मेरे पास बहुत से सवालों
के नहीं है हिसाब
वर्षों से रोज़ रात
मेरे सिरहाने बैठ कर
बेटी पूछती है
"माँ , पापा कभी लौट कर आएंगे क्या ?"
मैं खिड़की पर थमे हुए चॉंद में
तुम्हारी तस्वीर उसे दिखाती हूँ
हमारी अच्छी चीज़ें
चॉंद अपने पास रखता है
हाँ वो साथ वाला छोटा तारा
तुम्हारी बात सुन रहा है
और वो चाँद को बताएगा
आने वाली कल रात को
जो कभी नहीं आने वाली
चाँद से बेटी को बहलाती हूँ
वो खुली ख़िडकी
मेरे बहुत से सवालों के
जावाब देने के काम आती है ।
Bahut hi bhavpurn khubsurat rachna..
ReplyDeleteMa'am
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पम्मी जी.
DeleteBahut hi bhavpurn khubsurat rachna..
ReplyDeleteMa'am
बहुत बहुत शुक्रिया आपका पम्मी जी.
Deletewaah bahut sundar aur marm sprshi bhi ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका उपासना जी
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (20-0122016) को "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का माहौल बहाल करें " (चर्चा अंक-2258) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत शुक्रिया आपका शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका.
ReplyDeleteभावपूर्ण .. शुभ्दोपहरी :)
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका सुनिता जी.
Deleteये चाँद यूँ ही सवालों के जवाब देता रहेगा और एक न एक दिन उन्हें ले भी आय्र्गा ... बहुत ही भावपूर्ण रचना ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर सर जी.
ReplyDeleteसुकोमल भावों से युक्त सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका.
Deleteसचमुच बेहद अच्छी प्रभावपूर्ण रचना....जो कि दिल को छू गयी!
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका.
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी
Deleteक्या बात है !.....बेहद खूबसूरत रचना....
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका..
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका..
Deleteबहुत भावपुर्ण कविता।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ज्योति जी.
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 10 फ़रवरी 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !
तहे दिल से शुक्रिया आपका संजय जी मेरी रचना को पांच लिंको का ेंआनंद में शामिलकरने पर.
Deleteबहुत खूब लिखा बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका महेश जी.
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका महेश जी.
Deleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
बहुत बहुत शुक्रिया आपका.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका.
ReplyDeleteखूबसूरत भावों से सजी बेहतरीन रचना।बहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी.
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