Friday, 19 February 2016

वो ठहरा हुआ चाँद


मेरे सिरहाने वाली खिड़की 
तब से मैने ख़ुली ही रख़ी है 
क्योंकि उसके ठीक सामने 
चाँद आकर रुकता है 
एक छोटे तारे के साथ 
मेरे पास बहुत से सवालों
के नहीं है हिसाब
वर्षों से रोज़ रात 
मेरे सिरहाने बैठ कर 
बेटी पूछती है 
"माँ , पापा कभी लौट कर आएंगे क्या ?"
मैं खिड़की पर थमे हुए चॉंद में 
तुम्हारी तस्वीर उसे दिखाती हूँ 
हमारी अच्छी चीज़ें 
चॉंद अपने पास रखता है 
हाँ वो साथ वाला छोटा तारा 
तुम्हारी बात सुन रहा है 
और वो चाँद को बताएगा 
आने वाली कल रात को 
जो कभी नहीं आने वाली 
चाँद से बेटी को बहलाती हूँ 
वो खुली ख़िडकी
मेरे बहुत से सवालों के 
जावाब देने के काम आती है ।

36 comments:

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका पम्मी जी.

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका पम्मी जी.

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  3. waah bahut sundar aur marm sprshi bhi ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका उपासना जी

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (20-0122016) को "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का माहौल बहाल करें " (चर्चा अंक-2258) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. बहुत बहुत शुक्रिया आपका शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर.

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  6. बहुत बहुत शुक्रिया आपका शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने पर.

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  7. बहुत बहुत शुक्रिया आपका.

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  8. भावपूर्ण .. शुभ्दोपहरी :)

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका सुनिता जी.

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  9. ये चाँद यूँ ही सवालों के जवाब देता रहेगा और एक न एक दिन उन्हें ले भी आय्र्गा ... बहुत ही भावपूर्ण रचना ...

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  10. बहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर सर जी.

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  11. सुकोमल भावों से युक्त सुंदर रचना ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका.

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  12. सचमुच बेहद अच्छी प्रभावपूर्ण रचना....जो कि दिल को छू गयी!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका.

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  13. बहुत सुन्दर

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका ओंकार जी

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  14. क्या बात है !.....बेहद खूबसूरत रचना....

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका..

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    2. बहुत बहुत शुक्रिया आपका..

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  15. बहुत भावपुर्ण कविता।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका ज्योति जी.

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  16. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 10 फ़रवरी 2016 को में शामिल किया गया है।
    http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !

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    1. तहे दिल से शुक्रिया आपका संजय जी मेरी रचना को पांच लिंको का ेंआनंद में शामिलकरने पर.

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  17. बहुत खूब लिखा बधाई

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका महेश जी.

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    2. बहुत बहुत शुक्रिया आपका महेश जी.

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  18. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!

    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

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  19. बहुत बहुत शुक्रिया आपका.

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  20. बहुत बहुत शुक्रिया आपका.

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  21. खूबसूरत भावों से सजी बेहतरीन रचना।बहुत खूब।

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  22. बहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी.

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  23. बहुत बहुत शुक्रिया आपका राजेश कुमार जी.

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