न मंजिल मिली न किनारा
न शब्दों का अर्थ
अनवरत चलते कदम
कभी थकते हैं कभी रुकते हैं
बस झुकना,
वो कमबख़्त वक़्त भी
नहीं सिखा पाया
ये उम्मीद शब्द
मैने सुना जरूर है
मेरी कलम उसे
बहुत अच्छे से लिख लेती है
पर मेरा मस्तिष्क उसका अर्थ
ढूँढ पाने में बहुत असमर्थ है
क्योंकि उसका अर्थ
जो तुम बता गए थे
उस तरह का मिलता ही नहीं
न जाने कौन लिखता है
तकदीर की इबारत
क्यों वो सामने आता ही नहीं
वर्ना जिंदगी में
इस पार या उस पार
कहीं तो अपना अर्थ लिए
मुझे उम्मीद मिलती
वाह ! गहरे भावों से सजी कविता। बहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का ।
Deleteदिल को छूते गहन अहसास...बहुत सुन्दर और प्रभावी प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-11-2015) को "अपने घर भी रोटी है, बे-शक रूखी-सूखी है" (चर्चा-अंक 2171) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
कार्तिक पूर्णिमा, गंगास्नान, गुरू नानर जयन्ती की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
तहे दिल से शुक्रिया आपका . मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने का ।
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आप का ।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, कहीं ई-बुक आपकी नींद तो नहीं चुरा रहे - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन में सामिल करने पर।
Deleteसुंदर और प्रभावी
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका ।
Deleteमर्मस्पर्शी रचना। .. यही कहूँगी। ..
ReplyDeleteघेर लेती उदासी और सूनापन
न दिखता कोई साथ सहारा
मन की घोर निराशा के क्षण में
बहती चाह, तमन्नाओं की व्यर्थ निरंतर धारा .
.........
http://kavitarawatbpl.blogspot.in/2010/02/blog-post_03.html
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!
बहुत बहुत शुक्रिया आपका कविता जी मेरी रचना को पढ़ने और सराहने के लिए. और मुझे शुभकामना देने के लिए.
Deleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteनई पोस्ट : इक ख्याल दिल में समाया है
बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।
ReplyDeleteसोचा की बेहतरीन पंक्तियाँ चुन के तारीफ करून ... मगर पूरी नज़्म ही शानदार है ...आपने लफ्ज़ दिए है अपने एहसास को ... दिल छु लेने वाली रचना ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका संजय सर जी . मेरी रचना को पढने और सराहने का .
Deleteये उम्मीद भी कमबख्त कहीं मिलती नहीं ... भटकने से तो बिलकुल ही नहीं ... अपने अन्दर जो होत्ती है ...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका दिगम्बर नसवा जी ।
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