उसने रोकना नहीं चाहा
उसे रुकना नागवार लग रहा था
उसे रुकना नागवार लग रहा था
बहुत दिनों पहले कांच टूट चुका था
गाहे बगाहे चुभ जाता गल्ती से
गाहे बगाहे चुभ जाता गल्ती से
पर सोच रही हूं
इसे फेंका क्यों नहीं
इसे फेंका क्यों नहीं
पर ये किसी कूड़ेदान तक
नहीं ले जाया जा सकता
नहीं ले जाया जा सकता
क्यों ऐसा क्या है ?
मन के भारीपन से
मन के भारीपन से
ज्यादा भारी तो नहीं होगा
ये रिश्तों की किरचें हैं
दिखती नहीं हैं
इसलिये समेटी नहीं जाती
काश ऊपर वाले ने
इसलिये समेटी नहीं जाती
काश ऊपर वाले ने
रिश्तों के टूटने का भी
एक मर्तबान बनाया होता
उठा के किसी कूड़ेदान में
एक मर्तबान बनाया होता
उठा के किसी कूड़ेदान में
फेंक आते सारा का सारा
ताकि ये मन की आवारगी
और आशोब सब
खामोशी से दफन हो जाते
ताकि ये मन की आवारगी
और आशोब सब
खामोशी से दफन हो जाते
गले को हिचकियों से
तंग नहीं करते
तंग नहीं करते
आंखो को आँसुओं से
नम नहीं करते
नम नहीं करते
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया सर जी।
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, डॉ॰ विक्रम साराभाई को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आप का मेरी पोस्ट को ब्लाग बुलेटिन में स्थान देने पर।
Deleteकाश ऊपर वाले ने
ReplyDeleteरिश्तों के टूटने का भी
एक मर्तबान बनाया होता
उठा के किसी कूड़ेदान में
बेहतरीन
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत रहेगा
बहुत बहुत शुक्रिया सर।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया जी।
Deleteमधुलिका दी, रिश्तों की टुटन का दर्द बहुत ही अच्छे से व्यक्त किया हैं आपने। काश ऊपर वाले ने रिश्तों के टूटने का भी एक मर्तबान बनाया होता...बहुत सुंदर।
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया
Deleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteरिश्तों के टूटने का मर्तबान ...
काश की ऐसा होता ... बार बार मन तो न टूटता ... फैंक आते सब रिश्ते बाहर ... लाजवाब रचना ...
मेरी ब्लाग पर आने के लिए तहेदिल से शुक्रिया आप का।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-08-2018) को "त्यौहारों में छिपे सन्देश" (चर्चा अंक-3063) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हरियाली तीज की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आप को भी हरियाली तीज की बहुत सारी शुभकामनायें
Deleteमेरी ब्लाग को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए दिल से शुक्रिया आप का ।
Deleteबहुत सुंदर |
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें
बहुत बहुत शुक्रिया आप् का
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय
Delete