ऐ ज़िन्दगी तू
इतना क्यों रुलाती है मुझे
ये आँखे है मेरी
कोई समंदर या दरिया नहीं
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गुज़रे हुए कल
मैंने तो हद कर दी
वक़्त से ही वक़्त की
शिकायत कर दी
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मेरी मुस्कान गिरवी
रखी थी जहाँ
वो सौदागर ही न जाने
कहाँ गुम हो गया
न तो मेरी चीज़ लौटाई
न ब्याज़ बताया
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तुमने मुझ पर दोस्ती के हक
अदा न करने के सौ इल्ज़ाम लगाए
पर एक भी इल्ज़ाम को
तुम साबित नहीं कर पाए
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काश मुश्किलें एक दिन
मुझसे कहें की
आज मैं तेरे आशियाने
का पता - ठिकाना ही भूल गयी
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माँ है वो तेरी
कोई चट्टान नहीं
वो अल्फ़ाज़ मत लौटा उसे
जो उसने तुझे कभी
सिखाये ही नहीं
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तुमने कभी कुछ बोला ही नहीं
की रास्ते में दोबारा
मुलाक़ात होगी की नहीं
और मैं खामखां
इंतज़ार शब्द को
अपनी वसियत लिख बैठी
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आज हवाओं में बहुत शोर है
लगता है गली में
खुशियाँ बेचने वाला
सौदागर आया है |
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ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ रचनाओं का संगम "लोकतंत्र" संवाद ब्लॉग पर प्रतिदिन लिंक की जा रही है। आप सभी पाठकों व रचनाकारों से अनुरोध है कि आप अपनी स्वतंत्र प्रतिक्रिया एवं विचारों से हमारे रचनाकारों को अवगत करायें ! आप सभी गणमान्य पाठकों व रचनाकारों के स्वतंत्र विचारों का ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteधु्व सर आपका तहे दिल से शुकि्या ।
Deleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'शनिवार' ३० दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने पर बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteवाह ! क्या बात है ! खूबसूरत प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteतहेदिल से शुकि्या सर आपका ।
Deleteखुशियाँ बेचने वाले सौदागर आते हैं ... और जिंदगी उन्हें बुलाती है ...
ReplyDeleteयही तो खेल है उसका ...
मेरी ब्लॉग के लिए वक्त देने का तहेदिल से शुकि्या सर ।
Deleteमेरी ब्लॉग को वक्त देने के लिए तहेदिल से शुकि्या
Deleteलेखनी का निखरा हुआ रूप। जीवन की विभिन्न परिस्थितियों का सूक्ष्म आकलन करते हुए आपके द्वारा प्रस्तुत की गई है बेहद प्रभावी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत बहुत आभार आपका मेरी ब्लॉग पर आने का ।
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत बहुत शुकि्या सर ।
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 3 जनवरी2018 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका पम्मी जी मेरी रचना को स्थान देने पर ।
Deleteबहुत जीवन्त एहसास और शब्दों की जादूगरी, क्या बात है!खुशियों के सौदागर का पता खोज रही हूं.
ReplyDeleteसादर
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका।
Deleteअनमोल नगीने ।शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteतहेदिल से आभार आपका।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका ।
Deleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका कविता जी
Deleteआपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteबहुत बहुत शुकि्या
Deletebadhiya line hai
ReplyDeletepublish online book
बहुत बहुत शुकि्या जी
Deleteशुकि्या सर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया ज्योति जी।
DeleteJitna kha jaye utna kmmm👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका
Deleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय
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