उसने रोकना नहीं चाहा
उसे रुकना नागवार लग रहा था
उसे रुकना नागवार लग रहा था
बहुत दिनों पहले कांच टूट चुका था
गाहे बगाहे चुभ जाता गल्ती से
गाहे बगाहे चुभ जाता गल्ती से
पर सोच रही हूं
इसे फेंका क्यों नहीं
इसे फेंका क्यों नहीं
पर ये किसी कूड़ेदान तक
नहीं ले जाया जा सकता
नहीं ले जाया जा सकता
क्यों ऐसा क्या है ?
मन के भारीपन से
मन के भारीपन से
ज्यादा भारी तो नहीं होगा
ये रिश्तों की किरचें हैं
दिखती नहीं हैं
इसलिये समेटी नहीं जाती
काश ऊपर वाले ने
इसलिये समेटी नहीं जाती
काश ऊपर वाले ने
रिश्तों के टूटने का भी
एक मर्तबान बनाया होता
उठा के किसी कूड़ेदान में
एक मर्तबान बनाया होता
उठा के किसी कूड़ेदान में
फेंक आते सारा का सारा
ताकि ये मन की आवारगी
और आशोब सब
खामोशी से दफन हो जाते
ताकि ये मन की आवारगी
और आशोब सब
खामोशी से दफन हो जाते
गले को हिचकियों से
तंग नहीं करते
तंग नहीं करते
आंखो को आँसुओं से
नम नहीं करते
नम नहीं करते