मेरी स्याही के रंग
Saturday 30 March 2024
मेरा स्वाभिमान
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तुम मुझे देखना चाहते हो मदारी के बंदर की तरह कितना हसीन ख़्बाव है तुम्हारा , मेरा तुम पर ऐतमाद की जहां मुझे लगे की कद...
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Sunday 18 February 2024
कुछ पंक्तियाँ दिल से...
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~ 1 ~ बड़ा अजीब है जनाब ये तेरा शहर आँखों में बड़े बड़े ख़्वाब लिए सारी रात बेचैनी से यहाँ से वहाँ भागता ही रहता है तभी तो ये रात भर ...
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Sunday 21 January 2024
वो एक नदी यादों की
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वो एक नदी यादों की मेरे साथ बहती बहती एक कहानी बन गई मैं वो तुम्हें सुनाना चाहती थी मुकम्मल होने तक कहानी तुम्हारी ख़ामोशी है ज़रूरी प...
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Saturday 21 October 2023
आओ मौसम की पहली बारिश में ज़िंदगी ढूँढे
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पिछली बारिश के जमा पलों की गुल्लक खोलें उसमें थे बंद कुछ पल रजनीगंधा से महके हुए कुछ पल सिलाइयों से उधड़े हुए कुछ पल जो हमने वक़्त से थे...
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Thursday 28 September 2023
थकते पंख अब सिमट से गए हैं
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स्त्री और समेटना दोनों शब्द एक दूसरे के पूरक हैं बचपन से ही माँ सिखाती है अपना कमरा समेट कर रखो कप...
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