कभी फादर्स डे कभी मदर्स डे
हर साल आते हैं
सब कुछ मिलता है
बाज़ारों में उपहारों के लिए
पर नहीं मिलता तो वो वादों के शब्द
जो चाहिए होते हैं हर माता - पिता को
क्योंकि वो दुकानों में नहीं दिलों में बिकते हैं
और एक आश्वासन और विश्वास की
नज़रों के नर्म गिफ्ट पेपर से लिपटे हों अहसास
की हाँ हम होंगे
जब आपको ज़रूरत होगी
तुम होना तब
जब हम बच्चे बन जाएँ
और तुम हमारे अभिभावक
वही ममता वही धैर्य
वही प्यार वही अहसास
लौटाने की बारी हो
अर्थ परिस्तिथियाँ
समय सब बदलती हैं
न बदलना तुम
जब तुम्हारी बारी आए
अभिभावक बनने की
जब हम बच्चे बन
मांगे मन चाहा खाना
और कांपते हाथों से
गिरा लें अपने ऊपर
और टूट जाए महंगी प्लेट
क्या तुम हमे दोबारा खिलाने तक
धैर्य को मुट्ठी में बांधे रखोगे
जब अल्ज़ाइमर से घिर जाएँ
भूल कर बार बार एक ही बात दोहराएँ
तुम्हारे पास हमे बहलाने के लिए
चंद लम्हे तो होंगे न
वो उम्र दराज़ होती नींद
आँखों से गायब होती जाती
क्या तुम हमारे साथ जागोगे
अब वक़्त बदला जो है
अब हालातों की परीक्षा हमारी है
परिणाम की चिंता तुम्हे
तुम्हारे हर इम्तेहान में जाग कर
सफलता की सीढ़ियों तक छोड़ आए हैं
हमारे कदम लड़खड़ाएंगे और
काया होगी कमज़ोर
क्या तुम सहारा दोगे
रुक रुक कर चल सकोगे
जैसे हम तुम्हे हाथ पकड़ कर
चलना सिखाया करते थे
हमारी आँखों की होगी जब
रौशनी कम
क्या तुम हमें पढ़कर
सुनाया करोगे
नहीं हम तुम्हारी तरह
परियों वाली कहानी
सुनने की ज़िद नहीं करेंगे
बस डॉक्टर की दवा
कितनी दफे खानी है
इतना ही पढ़ देना
तुम्हे हैरान नहीं करना है
बस हर मदर्स डे और फादर्स डे पर
एक वादा दे दिया करो
बस इतना सा उपहार काफी है
हमारा हाथ पकड़ कर विशवास से
तुम्हारा हाँ कहना ही
सब उपहार पर भारी है . . .
बहुत सुंदर सोचने पर मजबूर करने वाली कविता
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आप का।
Deleteमर्मस्पर्शी पंक्तियाँ बहुत दिनो के बाद आपको लिखते देखकर खुशी हुई।
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आप का संजय जी।
Deleteतहेदिल से शुक्रिया आप का शास्त्री सर जी मेरी रचना को चर्चा अंक में स्थान देने के लिए।
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी कविता..
ReplyDeleteविचारणीय शब्दावली से सजी पंक्तियाँ।
तहेदिल से शुक्रिया आप का पम्मी जी
Deleteएक माता पिता की इच्छाओं का अंत नहीं होता पर एक वादा भी जीने का संबल बन जाता है ... ऐसी किसी इच्छा को रखना आज के समय में बेमानी है पर मन मानता भी नहीं है .... दिल को छूती हुयी संवेदनशील रचना है ...
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया आप का नासवा जी। सच कहा आपने आज की इस भाग दौड़ बाली जिंदगी में ये सब वेमानी है पर उम्र के एक पडाव में इस वादे की बहुत जरूरत होती है
ReplyDeleteआवश्यक सूचना :
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तहेदिल से शुक्रिया आप का ।
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुतु, बहुत सुंदर
ReplyDeletebahut bahut shukriya sir
ReplyDeletebahut bahut shukriya sir
ReplyDeletebahut bahut shukriya sir
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया ।
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