Wednesday, 14 June 2023

बचपन के रास्तों के पेड़


बचपन के रास्तों के पेड़
वक्त के साथ साथ 
वो भी उम्रदराज़ हो गए हैं ।
अब जब भी मैं गुज़रती हूँ
उन रास्तों से 
धुंधली यादों के साथ..
गुज़रा वक्त अब भी
सलाख़ों में क़ैद है कहीं ।
पुरानी बातों के 
ज़िरह के दस्तावेज़ों को 
मैं नहीं खोलती ।
किन तारीख़ों को क्या सज़ा
मुक़र्रर हुई..
मैं कब सब से
आखिरी बार मिली..
इन सब हिसाबों के 
काग़ज़ात की फ़ाइल को 
बांधने वाली डोरी अब
गल चुकी है ।
अब उस फ़ाइल को खोलने
का रिस्क नहीं लेती
उड़ते काग़ज़ों को दोबारा
समेटने में बहुत हिम्मत चाहिए ।
और उन नीम पीपल सागोन की 
गवाही अब भी बदली नहीं है ।
उन सब तारीख़ों को उनने 
अपने वलय में समेट रखा है ।
कहते हैं पेड़ के वलय से 
पेड़ की उम्र का पता जो चलता है ।
बहुत शौक़ था तुम्हें
मुझसे वकालत करने का 
अब तुम अपने जिरह के 
काग़ज़ात समेट लो 
कुछ ना बोलो 
दरख़्तों से कहो वक्त को 
उम्र कैद में रहने दो 
और इस सज़ा को 
मुक़र्रर  बरकरार रहने दो ।

20 comments:

  1. वाह! लाजवाब रचना👌👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया

      Delete
  2. उम्रदराज़ होती स्मृतियाँ..बेहतरीन अभिव्यक्ति।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ जून २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीया मेरी रचना को पाँच लिंकों का आनंद में स्थान देने पर

      Delete
  3. सच कहा आपने इस सृष्टि में जो भी है, वह सभी कुछ उम्रदराज तो होता ही है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

      Delete
  4. Replies
    1. आदरणीया तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

      Delete
  5. क्या बात है प्रिय मधूलिका जी!! बचपन के पेड़ के साए से गुजरना हरेक के नसीब में नहीं होता।पुराना खोलो तो बहुत दर्द कसकते हैं पुराने पेड की छाया बहुत सुकून देती है।अपनी तरह की बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति के लिए बधाई और शुभकामनाएं आपको।बहुत अच्छा लगा पढकर 🙏♥️

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रिय रेणु मेरी ब्लाग पर आने का बहुत बहुत आभार,स्नेह और शुभकामनाएँ ।



      Delete
  6. और उन नीम पीपल सागोन की
    गवाही अब भी बदली नहीं है ।
    उन सब तारीख़ों को उनने
    अपने वलय में समेट रखा है ।
    कहते हैं पेड़ के वलय से
    पेड़ की उम्र का पता जो चलता है ।
    बचपन के वे पेड़ भी उम्रदराज हो गये
    वाह!!!
    कमाल का सृजन
    गहन चिंतनपरक ।

    ReplyDelete
  7. खूबसूरत अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय

      Delete
  8. बहुत सुन्दर कविता. नमस्ते

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय

      Delete
  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति आपको हृदय तल से शुभकामनाएं

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय

      Delete
  10. तहेदिल से शुक्रिया आपका आदरणीय

    ReplyDelete
  11. मधुर स्मृतियों का सुंदर अफ़साना।

    ReplyDelete
  12. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय

    ReplyDelete